“ओ ..ह.ह.ह.ह. दी…दी……. स्सस्सस्सस आ ……..ह ……. “
“उफ्फफ्फ्फ़ …….. हा …….य……..अ…अ.अ…..आ….”
फिर दीदी मुह निचे कर के मेरे छोटे निप्पल को चाटने लगी…….
“स्सस्सस्स अ…अ.अ…आ……ह…”
उसके हाथ मेरी जान्घोपर घूम रहे थे …. उसने मेरी मुनिया पे जैसेही हाथ रखा …..
मै तड़प उठी
“उफ्फ्फफ्फ्फ़ …….स्सस्सस्स……..स्सस्सस्सीईईईई …… “
दीदी और निचे गयी और उसने मेरी मुनिया को चाटना चालु किया
“ह्हह्हह्हह्हम्मम्मम्म……….स्स्स …….हय्य्यय्यय्य्य्य…..ओ ….ह ……”
मैं जोरसे चिल्ला रही थी …..
दिदिने मेरी मुनिया में अपनी जीभ घुसाई …. और उसे अन्दर बहार करने लगी
मै सातवे आसमान में पहुंची ……
मेरी मुनिया सुर सुर करने लगी ….. दीदी ने जीभ की स्पीड बढाई …….
और मेरे अन्दर का लावा फुट गया ……
“ऊऊऊऊउईईईई ……माआआआआआआ ……मर… गयि….. आआआआह्हह्हह्हह्ह
ऊऊऊऊऊओह्हह्हह्हह्ह…… ऊओह्हह्हह्हह्ह…… आआआआआआह्हह्हह्हह…. आआआअह्हह्हह्हह्ह”
मुझे झटके आने लगे …… मैंने दीदी के सर को मेरी मुनिया पर दबा दिया ……मेरी मुनियासे गरम गरम पानी बहने लगा …..
“आआआआआ ….ह्ह्ह…..स्स्स्स. आ……उ……म्मम्मम”
मैं थोड़ी देर में शांत हुयी …… मेरी आँखों से सामने तारे नाच रहे थे ……. ऐसा लग रह था की किसीने मुझे निचोड़ दिया हो …….
बड़ी देर तक मै यूही बेजान पड़ी रही …… दिदी ने ऊपर आकर मुझे कास के गले लगाया
दिदी: “ आज मेरी प्यारी गुडिया ……. पूरी तरह जवान हो गई ….”
और मुझे चूम लिया
दिदी पूरी तरह से मुझे चपकी थी …. मेरे अंग का हर हिस्सा उसे छु रहा था … नहीं….. चिपका हुआ था
मै कोमल दिदी के नरम मुलायम शरीर को महसूस कर रही थी ….. बड़ा सुकून मिला मुझे ….
मै : “दिदी …… क्या मै …….आ….प…की …..छा…….ती ……यो…. को छु …….”
दिदी के समझ में आ गया की मै क्या चाहती हु ….. वो हसी और मुझे एक हलकी सी चपत लगते बोली
“अरे पगली …. इसमें पूछने की क्या बात है …… मै तो तेरी ही हूँ ….. मेरा सब कुछ तेरे लिए तो है “
इतना कहके उसने मेरे हाथ अपनी छातियो पर रख दिए और मुझे समझाया
“श्रेया डार्लिंग …… इसे स्तन बोलते है ….. छतिया नहीं …… इसके दुसरे नाम भी है ……”
मै: “क्या…..”
दिदी ने मेर हाथो को उसके स्तानोपर दबाया और बोली
“इसे उरोज या मुम्मे भी बोलते है … इंग्लिश में इसे बूब्स बोलते है “
अब मुझे भी बड़ा मजा आ रहा था ….. मैं हौले हौले दीदी के स्तन दबाने लगी
दिदी हलकी हलकी आहे भर रही थी ……
फिर उसने मुझे अपने पुरे शरीर से वाकिफ करवाया ….. सब पार्ट्स के नाम बताये …..
जैसे की चूत, योनी , फुददी , दाना ……
ये सब पार्ट्स उसने मुझे छूआकर दिखाए ….. मै तो दिदी का हर अंग करीब से छूकर,दबाकर, और कभी कभी चाट कर देख रही थी …..
उसके बाद फिर मस्ती का तूफानी दौर चला …….. इस बार कोमल दिदी की बारी थी …
वो जैसे जैसे मुझे बताती गयी ….. मै आज्ञाकारी शिष्य की तरह वैसे करती गयी ….
दीद ने जैसे सिखया उसी तरह मैंने उसके होठोको चूमा …. जीभ डालकर चूसा …..
हाय …… क्या नरम होठ थे दिदी के …… जैसे गुलाब की पंखुड़िया ….
मैंने उसके स्तानोको भी खूब चूसा …… निप्पल्स को चुभलाया ……
दिदी पूरी तरह मस्त हो गयी थी
मैंने दिदी की बगलों को सुंघा …. उस भीनी भीनी खुशबू को अपने आप में समां लिया …
मैंने उसकी चूत को चाटा …… दाने के साथ खूब खेली ……
दिदी ……. जब झड़ने पर आयी तो उसने मेरा मुह अपने जन्घोमे दबाया …….
मै उसका यौवन रस पि गयी ……
बहोत देर तक हम दोनों एकमेक को चूमते चाटते रहे ….
शाम होने को थी …… दिदी बोली
“चल छोटी अब जरा भर घूम के आते है …. रात में खूब मस्ती करेंगे ………
और रात के रंगीन सपने देखते देखते मै उठ कर अपने कमरे में चली गयी
शाम को जब हम दोनों घूमने गए …..
दिदी ने मुझे भोत सी बाते बताई
जैसे की सेक्स क्या होता है ….. कैसे होता है .. सेक्स करने के टाइप्स
हम लोगोने खाना भी बहार ही खाया ….
सात बजे हम लोग घर आये …..
कोमल दिदी बोली
“चल छोटी ….. अब हम ब्लू फ्लिम देखते है …”
मैं: “ब्लू फ्लिम ????”
दिदी : “अरे वैसे वाली फ्लिम जो तुने दोपहर में देखि थी …..”
फिर उसने लैपटॉप चालु किया … और एक फ्लिम चालू की
उस फ्लिम में दोनों लडकिया थी …. दोनों भी गोरी चिट्टी …. और भरी भरी
थी …..
दिदी: “देख श्रेया …. ये जो दो लडकियों के बिच सेक्स होता है ना ….
उसे लेस्बियन कहते है “
उसने मुझे ये भी समझाया की असल सेक्स तो औरत और मर्द के बिच ही होता है .
बड़ी ही फाडू फ्लिम थी वो …..
मैं तो तूफानी गरम हो गयी थी …
फिर दिदी और मेरे बिच एक तूफानी सेक्स का दौर चला ….
थोडा शांत होने के बाद … दिदी ने एक और फ्लिम लगाई …. जिसमे एक लड़का और एक लड़की थे …..
दिदी : “अब देख मेरी बहना …. सेक्स का असली मजा….”
बड़ी ही गरम मूवी थी वो …….
देखते देखते कोमल दिदी ने मुझे समझाया … की लंड क्या होता है …. उसे कैसे चूसते है …. और वो कैसे चूत को फाड़ता है …..
फिर दिदिने मुझे गांड के बारे में बताया …. गांड चुसना … गांड मरवाना …. क्या होता है ये सब समझाया …..
मैंने दिदी को पूछा
“दिदी तुम कबसे…. सेक्स… कर रही हो “
दिदी : “मैंने सिर्फ …. लेस्बियन ही किया है अबतक ….. किसी लड़के से अभी तक नहीं चुदवाया…… मेरी एक सहेली ने मुझे ये सब सिखाया …… हमने एकसाथ खूब मजे किये …. लेकिन पिछले साल उसके पापा के ट्रांसफर हो गया ….तबसे मै एकदम अकेली हो गई रे “
मैं: “अब तो मैं हु ना दिदी ……”
दिदी मुझ से चिपकते हुए बोली
“हा रे ….. मेरी प्यारी बहाना ….. आज तो तुने मेरी इतने दिनों की प्यास बुझा दी ….. और मेरा हमेशा के लिए इंतजाम भी हो गया ….. अब मुझे ऊँगली करने की जरुरत नहीं “
उसने बड़े प्यारसे मुझे चूमा …. और हम फिरसे फ्लिम् की रासलीला देखने लगे .
वो लड़का उस लड़की को हचक हचक की चोद रहा था …. वो लड़की भी आनंद के मारे चीख रही थी …. अजीब अजीब आवाजे कर रही थी
मैंने दीदी से पूछा
“ दिदी …. लंड से चुदने में बहोत मजा आता है क्या …..”
दिदी: “ हा रे …..”
मै: “तुम्हे कैसे मालूम ….. तुम तो अभी तक चुदी नहीं हो ….”
दिदी: “ मेरी सहेली जब चुद रही थी ….. तो मैंने देखा था …. और ऐसे विडिओ भी मैंने कई देखे है ….”
मै: “ तो क्या तुम्हारी कभी इच्छा नहीं हुयी …. लंड से चुदवाने की ….”
इस पर दिदी थोड़ी देर खामोश रही
और फिर बोली …..
“छोटी ……. चुदवाने के बारे में मेरी अपनी फिलोसोफी है ….”
मैं:”जरा खुल के बताओ ना दिदी ……”
दीदी की फिलोसोफी
“मै जब भी चुदवाउंगी तो अपनी मर्जी से “
“मै अपने ख़ुशी के लिए चुदवाउंगी …. ना की किसी और के चाहने पर ….चुदाई से मुझे आनंद मिलना चाहिए “
“आजकल के लड़के सिर्फ चुदवाने में इंटरेस्ट रखते है …… उनसे बच के रहना चाहिए ….. मै किसी ऐरे गिरे के हाथ का खिलौना नहीं बनना चाहती …..”
“जितना जादा हम चुदवाते है … उतनी ही चुदवाने की प्यास बढती जाती है …. हमें उसपर कंट्रोल करना चाहिए “
“मैं अपना तन …उसीको सौपुंगी … जिसे मै प्यार करुँगी…. और वो जो मुझसे प्यार करेंगा ..”
“बहोत जादा लोगो से मै कभी नहीं चुदवाउंगी ….. याने मुझे चोदने वाले बहोत कम लोग होंगे …. एक से ज्यादा … लेकिन बहोत ज्यादा नहीं “
बड़ी ही लम्बी स्पीच दे डाली दिदिने …… मेरी समझ में कुछ कुछ आया …. लेकिन सब कुछ नहीं .
दिदी बोली
“श्रेया तू फिकिर मत कर … तू धीरे धीरे सब समझ जाएँगी “
फिर हम दोनों एकदूसरे को चूमने चाटने लगे …… फिरसे एक प्यार का एक तूफान आया …..
उस तूफान के थमते ही दिदी मुझसे बोली …
“चल श्रेया अब सो जा….. अधि रात हो गयी है ….कल स्कूल भी तो जाना है “
मैं: “दीदी … कल के दिन मैं घर पे ही रूकती हु ना ….. हम खूब मस्ती और करेंगे कल ….”
दीदी: “ नहीं ….. श्रेया …. स्कूल मिस नहीं करना ….. मस्ती तो हम दोपहर में भी कर सकते है ….. और फीर मुझे तेरे लिए एक सरप्राइज गिफ्ट भी तो बनाना है “
मैं:”दिदी बताओ ना … क्या सरप्राइज है ….”
दिदी ने बताने से मना कर दिया और मुझे जबरदस्ती सुलाया …
सबेरे मै स्कूल गयी ….. स्कूल में मन ही नहीं लग रहा था ……..
स्कूल से वापस आ कर मै दीदी के कमरे में पहुंची ….. दिदी कुछ कर रही थी …
मैंने पिछेसे उसे गले लगाया और चूमा ….
दिदी ने मुहे बिठाया और मेरे हाथ में एक कागज का पुलिंदा रख दिया …
और बोली
“ये है तेरा सरप्राइज गिफ्ट “
मै:”ये क्या है दिदी ,,,”
दिदी : “ये तेर लिए मैंने ख़ास बनाया है …. ये तेर लिए बहोत महत्वपूर्ण जानकाश्रेया है “
वो वही नोट्स थे जो आज सबेरे मैंने तुमको दिए थे महक .
दिदी ने बोला की मै वो नोट्स बादमे कभी फुर्सत से पढू ….. और वो बोली
“चल मेरी बन्नो … मै तेरे कपडे उतार देती हूँ “
और उसने मेरे कपडे उतरने शुरू किये …… मेरी स्कर्ट टॉप उतरने के बाद वो मेरे एकदम पास आके सूंघने लगी …. उसने मुझे मेरे दोनों हाथ ऊपर करने बोला …. जैसे ही मने अपने दोनों हाथ ऊपर किये …. दिदी ने मेरी बगलों में मुह घुसाया …. आँखे बंद करके सूंघने लगी ……
मुझे बहोत अजीब लगा ….. मै बोली …
“दिदी…. हटो ना ….. मुझे गुदगुदी हो रही है …..और ये तुम क्या कर रही हो …
देखो ना …. कितना पसीना आया है मुझे …. जरा नहा लू …. बाद में खूब मस्ती करेंगे “
दिदी:”अरी पगली ….. इस पसीने में ही तो मजा है ….. मै तो इस खुशबू की दीवानी हु रे …… और नहाने की क्या बात है ….. मै तुझे चाट चाट के फ्रेश करती हूँ “
और दीदी मुझे पागलो की तरह सूंघने, चाटने लगी …… दिदी की गरम साँसे मुझे भी दीवानि कर रही थी ….. फिर मै भी मस्ती में आयी और फिर दो बहनों का कामुक तूफान चल पड़ा ……..
माँ पापा आने तक हमने बहोत ऐश की . मेरी सेक्स की ट्रेनिंग भी दीदी ने चालु रखी…..
माँ पापा आने के बाद भी हम सबसे नज़रे बचाए….. मजा करते रहे …..
अभी इसी साल दिदी एमबीए करने के लिए … दुसरे शहर गयी ……..
तब से मैं अकेली ही हूँ… और दीदी को याद करती रहती हूँ..
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