ये shemale story है एक दमदार औरत की जिसका किसी कारण से चूत की जगह लंड उभर आता है. वो भी तगड़ा. जानिए वो क्या क्या करती है अपने उस दमडर लंड से..
Hindi Sex Story के अन्य भाग-
पार्ट 1
पार्ट 2
पार्ट 3
हमारे गांव के ठाकुर साहब का नाम रायबाहादुर सिंह है और ठकुराइन का नाम ज्वाला देवी है। ठाकुर साहब की उम्र लगभग 45 की थी । ठकुराइन की उम्र भी लगभग 43 की थी । ठकुराइन ज्वाला देवी पुरुषों के बराबर की लम्बी तगड़ी पर बेहद गोरी चिटटी व सुन्दर महिला थी । ज्वाला देवी, प्रभावशाली व्यक्तित्व के अलावा एक स्वस्थ भरे-पूरे शरीर और की मालकिन भी हैं।
अच्छे खान पान तथा मेहनती दिनचर्या से उनके बदन में सही जगहों पर भराव है । सुडौल मांसल बाहें , बेहद गुदाज बदन तरबूज के जैसी बड़ी बड़ी चूचियो, कमर पतली पर केले के खम्भों जैसी मोटी भरी भरी मांसल जांघे, भारी बड़े बड़े उभरे हुए नितंबं के कारण बुरी न लग के मादक लगती हैं और पीछे से तो गुदाज पीठ के नीचे भारी चूतड़ भी गजब ढाते हैं । सुंदर रोबदार चेहरा तेज तर्रार पर नशीली आंखे तो जैसे दो बोतलें शराब पी रखी हो ।
वह अपने आप को खूब सजा संवार के रखती हैं। घर में भी बहुत तेज-तर्रार अन्दाज मे बोलती हैं और सारे घर के काम वह खुद ही नौकरो की सहायता से करवाती हैं । उन्होंने अपनी जागीरी के सारे पद का भार गांव की औरतों को दे रखी थी, क्योंकि उन्हें मर्दों से ज्यादा भरोसा औरतों पर था ।
उसने सारे घर को एक तरह से अपने कब्जे में कर रखा है। उसकी सुंदरता ने उसके पति को भी बांध कर रखा है शुरू से ही उसके ऊपर पूरा हुकुम चलाती थी । ठाकुर व ठकुराइन दोनो ही बहुत रंगीन मिजाज थे और वो दोनो ही एक दूसरे के कामों में दखल नही देते थे ।
ज्वाला देवी कुछ ज्यादा ही गरम लगती हैं। उसका नाम ऐसी औरतों में शामिल है जो पायें तो खुद मर्द के ऊपर चड़ जाये। गांव की लगभग सारी औरते उनको मानती हैं और कभी भी कोई मुसीबत में सनेफँ पर उन्हें ही याद करती है । पर एक राज गहरी राज छिपी हुई थी उनमें । जिसे महल के कुछ खास लोगों को पता था ।
दरअसल शादी के 10 साल बीत जाने पर भी ठकुराइन की कोख सुनी रही । बडे-बडे डॉक्टरों को दिखाने के बाद भी दोनों को निराशा ही मिली । सन्तान की चाह ने दोनों को हर व तरीका अपनाने के लिए मजबुर कर दिया था जो कानुनन गैर था ।
हर व रास्ता अपनाने के बाद जब बच्चा नहीं हुआ तो एक दिन हिमालय से आए एक बाबा के यहां ठकुराइन गईं और उन्हें अपनी समस्या बताई । और साधु महाराज ने ठकुराइन की ईलाज शुरु कर दी । उन्होंने दोनों को धर्य से काम लेने को कहा, और कहा कि सब उपर वाले की ईच्छा है ।
दिन बितते चले गए, साधु बाबा ने ठकुराइन को ईलाज के सारे तरीके बता कर वापस हिमालय लौट गए ।
ईलाज बडी जरों से चल रहा था । इसी बिच ठकुराइन की चुत दिन व दिन सिकुडता चला गया, पर दोनों बाबा की बात मानते हुए धर्य बांधकर ईलाज चालू रखा । नतीजा ये हुआ की, ठकुराइन की पूरा सिकुड गया और उस स्थान पर एक लंड पनपने लगा । इतना कुछ होने के बाद भी ठाकुर और ठकुराइन कोई चमत्कार होने की आशा में साधु बाबा के कहे ईलाज जारी रखा ।
चमत्कारी तो हुई नहीं लेकिन एक ही हफ्ते में ठकुराइन की लंड बढकर 5 इंच का हो गया, बिल्कुल ठाकुर साहव के लंड के बराबर । मजबुरन ठाकुर साहव ने ईलाज बंद कर ज्वाला देवी को डॉक्टर के पास ले गए । पर तब तक बहुत देर हो चुकी थी ।
डॉक्टर ने अपनी असर्थता जाहिर करते हुए कहा-
“आप लोगों ने आने में बहुत देर कर दी, अब कुछ नहीं हो सकता । ढोंगी बाबा की बात मान कर आप बहुत बडी गलती कर दी, आपकी लंड पुर्ण-विकसित हो चुका है । इसे आपकी शरीर से हटाना अब सम्भव नहीं… आपकी जान को खतरा हो सकता है । पर कोई परेशानी की बात नहीं, लंड के साथ भी आप आराम से जिन्दगी बिता सकतीं हैं ।”
और इस तरह बिचारी ठकुराइन पहले तो बडी असमंजसता में पडी, लेकिन जब लंड से एक नयी सुखद अनुभूती मिली तो उनकी सारी गिले-शिकवे दुर हो गईं । और लंड से मजा लेना शुरु कर दी । फिर एक ही साल में ठकुराइन की लंड बढ कर विशाल रुप ले लिया । पहले से ही व ज्यादा गरम रहती थीं…. और अब ज्वाला देवी अपनी सारी गरमी लंड पर महसूस करने लगी ।
इसके बाद ठाकुर साहव ने अपनी अलग सी दुनिया बसा लिया था । काम-वासना के मांमले में भी वह बीवी से थोड़ा उन्नीस ही पड़ता था सो अगर ठकुराइन ने कभी हाथ धरने दे दिया तो ठीक नहीं तो गांव की कुछ अन्य औरतों से भी उसका सम्बन्ध था । ठाकुर बेचारा तो बस नाम का ही ठाकुर है असली ठाकुर तो ठकुराइन हैं।
गांव के वैद्यराज पन्डित सतनाम पान्डे ठकुराइन के गाँव के थे और पंडिताईन ठाकुर साहब को अपना भाई मानती हैं । उनके घर में तीन ही सदस्य हैं, एक पुरूष जिसकी उम्र 58 साल है और उनकी पत्नी शारदा देवी जिनकी उम्र 48 के करीब है, उनकी एक बेटा 30 साल का है ! पंडिताईन बहुत सुन्दर हैं, अधेड उम्र में भी वदन एकदम कसा हुआ गठीला था । बिल्कुल 29 साल की छोरीयों की चरह मस्त माल है ! मस्त चूचे मोटे-मोटे, बड़ी गाण्ड ! कुल मिला कर बिल्कुल काम की देवी लगती है। उनकी चूचियाँ 38 इन्च की होंगी और गांड 40 इन्च के करीब ! गांव के सारे मर्द पंडिताईन को चोदने को सोचते रहते थे । वैसे औरतें भी उनकी गठीले गदराये बदन को देख के ललचा जाती थीं ।
दिन इसी तरह बीत रहे थे। ठाकुर सबकुछ ठकुराइन पर छोड़ बाहर अपनी ही दुनिया में अपने में ही मस्त रहते हैं । अगर घर में होते भी तो सबसे बाहर वाले हिस्से में ही रहते हैं वहीं वे अपने मिलने वालों और मिलने वालियों से मिलते हैं । ठकुराइन का सामना करने के बजाय नौकर से खाना मंगवा बाहर ही खा लेते और वहीं सो जाते ।
दरअसल ठाकुर रोज रात मे हवेली की किसी एक औरत को चोदने के लिये बुलवाता था लेकिन सप्ताह मे एक बार अय्यासी का दरबार लगाता था। ठाकुर साहब की हवेली में हमेशा तीन खूबसूरत नौकरानियॉ चहकती रहती थी। तीन नौकरानी नीरा बेला और शीला ठाकुर रायबहादुर सिंह की चहेती थी। जब पहली बार इन तीनों को एक साथ बुलवाया था तो इनके आदमी फरियाद लेकर ठकुराइन के पास गये थे।
ठकुराइन के पूछने पर बेला के पति बलदेव उर्फ बिल्लू ने डरते हुए कहा –
“मालकिन अभी तक तोग ठाकुर साहब हम मे से किसी एक की औरत को अपनी सेवा मे बुलवाते थे हमे कोई एतराज नहीं क्योंकि हमारा तो काम ही आप सबकी सेवा करना है और हमारी औरतो की तरह हम सब भी दोस्त हैं सो अगर तीन मे से दो भी घर मे हो तो हमारा भी काम चल जाता था क्योंकि हम सब भी मर्द हैं हमें भी रात मे औरत की जरूरत पड़ती है।”
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