और फिर बिल्लू ने भी लंड को मुठियाते हुए झड़ने लगा । ठकुराइन बिल्लू को दबोच कर हांफ रही थी । और फिर दोनों एक दूसरे की बाहों में लिपटे-लिपटे वैसे नंगे ही सो गये।
दूसरे दिन जब सब सोकर उठे तो दीनू भूरा और बिल्लू जल्दी जल्दी कपडे पहनकर जाने लगे तभी ठकुराइन बोली-
“हवेली के सब लोगों को बता देना कि जिस किसी आदमी की औरत को ठाकुर साहब चुदायी के मजे लेने के लिए रात में बुलायेंगे । वो आदमी अगर चाहे तो उसी रात ठकुराइन से इंसाफ़ मांगने आ सकता है। ठकुराइन ऐसेही सबको इंसाफ़ देगी ।
यह सुनकर वे बोले-
“कोई बेवकूफ़ ही होगा जो आपका इंसाफ़ नही पसन्द करेगा ।” और फिर हॅंसते हुए चले गये।
ठकुराइन जब उन्हें भेजकर उठी तो उनके बदन का जोड़ जोड़ चुदायी की कसरत के मारे दर्द कर रहा था । रोजमर्रा के काम खत्म करते करते दोपहर हो गयी। दोपहर के खाने के बाद ठकुराइन ने सोचा कि थोड़ा आराम करले क्योंकि बदन का जोड़ जोड़ टूट रहा था।
लेटते ही आँख लग गयी । ठकुराइन करीब सात बजे तक सोती रहीं जब उठी तब भी बदन टूट रहा था । सोचा अब तो मालिश करवानी पड़ेगी । कमरे से बाहर आयीं नौकर को आवाज दी-
“बिल्लू जा बेला मालिन को बुला ला बोलना मालकिन ने मालिश के लिए बुलाया है।”
बेला मालिन आयी और आंगन में खुलने वाले सारे दर्वाजे बन्द कर ठकुराइन को धूप में बैठा आंगन में मालिश करवाने लगीं । बेला एक हरामिन थी । ठकुराइन के लिए रोज चुत का बन्दोवस्त करती थी । जिस दिन कोई नहीं मिलती तो खुद ही ज्वाला देवी की लंड की हवस मिटाती थी….। उसकी नजरें ठकुराइन की नजरों ताड़ रही थी और खूब पहचान रही थीं सो उसने फिर से बाते छेड़नी शुरु
कर दी-
“मालकिन अब क्या बोलु, पंडिताईन भी कम उस्ताद नहीं है !!!! ।”
बेला को घूरते हुए ज्वाला देवी ने पुछा-
“क्यों, क्या किया पंडिताईन ने तेरे साथ।”
“अरे मेरे साथ नहीं पर…।”
ठकुराइन चौकन्नी हो गई-
“हाँ हाँ बोल ना क्या बोलना है”
“मालकिन अपने पंडिताईन … एकदम मस्त …. माल…।”
“ऐसा कैसे बोल रही है तु”
“ऐसा इसलिये बोल रही हुं क्यों की, मैनी पंडिताईन को पेटीकोट में हाथ घुसेड़ चुत दबाते हुए देखा है।”
कहते हुए ठकुराइन की दोनों टांगो को फैला कर उनके बीच
में बैठ गई । बेला ने मुस्कुराते हुए ठकुराइन के पेटीकोट के ऊपर से उनकी मुरझे हुए लंड पर हाथ फ़ेरते हुए
कहा-
“अभी आपको मेरी बाते तो बकवास ही लगेगी मगर मालकिन सच बोलुं तो आपने अभी पंडिताईन की बुर
नहीं देखी … क्या मस्त चुत है मालकीन, अधेड हो गई है पर चुत एकदम लौंडिया जैसी… एकदम कसा हुआ ।”
“दूर हट कुतिया, क्या बोल रही है बेशरम ।”
बेला ने ठकुराइन की तन रही लंड के साथ बडा सा अंडकोष को पेटीकोट के उपर से दबाने लगी । ठकुराइन ने
अपनी जांघो को और ज्यादा फैला दिया, बेला के पास अनुभव था अपने हाथों से मर्दों और औरतों के जिस्म में जादु जगाने का । ज्वाला देवी के मुंह से बार-बार
सिसकारियां फुटने लगी । बेला ने जब देखा मालकिन अब पूरे उबाल पर आ गई है तो फिर से बातों का सिलसिला शुरु कर दिया-
“मेरी बात मान लो मालकिन, कुछ जुगाड़ कर लो।”
“क्या मतलब है री तेरा”
“मतलब तो बड़ा सीधा सादा है मालकिन, आपकी लंड मांगती है चुत और आप हो की इस ……।”
“चुप साली, अब कोई उमर रही है उसकी, ये सब काम करवाने की, अब तो बुढिया हो गई है व ।”
“ आप क्या जानो गाँव के सारे जवान पंडिताईन को देख आहे भरते हैं ।”
“छी रण्डी कैसी कैसी बाते करती है! सतनाम मेरे गाँव के हैं मैं भाई कहती हूँ उन्हें और उनकी पत्नी को.. ।”
“अरे छोड़िये मालकिन कौन से आपके सगे भाई हैं । मैं आपकी जगह होती तो सबसे पहले पंडिताईन को टाँगों के बीच लाती और जमकर चोदाई करती उसकी बुर में ।”
“क्या पागलों की तरह अनाप-सनाप बके जा रही है…।”
“हाय मालकिन पंडिताईन की टाईट चुत देख के तो मैं सब कुछ भुल जाती हुँ । आपकी तरह अगर मेरा भी लंड
होता तो कब का चोद देती उसकी दोनों छेद में.. हाय !”
इतनी देर से ये सब सुन-सुन के ज्वाला देवी के मन में भी उत्सुकता जाग उठी थी। बदन टूट रहा था। सोचा अब
तो जरूर लंड की मालिश करवानी ही पडेगी ।
ठकुराइन चहकी-
“ ड्रेसिंग टेबिल पर तेल क्रीम व पाउडर रखे उन्हें उठा ला और अलमारी से एक बड़ा तौलिया निकाल के उधर आंगन के कोने में पडे उस गद्दे पर बिछा दे।”
बेला बोली-“बहुत अच्छा मालकिन।”
बेला ने वैसा ही किया । ठकुराइन ने साड़ी उतार दी और खाली पेटीकोट ब्लाउज में आकर गद्दे पर बिछे तौलिये पर बैठ गयी और बोली-
“पहले मेरी कमर की मालिश कर दे।”
बेला दोनों हथेलियों में तेल लेकर पीठ की ओर बैठ गयी और गद्देदार चूतड़ों के ऊपर कमर पर दोनों हाथों से मालिश करने लगी । वो बार बार ठकुराइन की कमर पर
हाथ फेरती हुई पेटीकोट के नारे से टकरा देती, चार-छ बार
ऐसा करने के बाद वो बोली-
“मालकिन इस तरह बार बार हाथ नारे से टकरा जाते हैं ठीक से मालिश करते नहीं बनता अगर नारा खोल दें तो ठीक से मालिश कर पाऊँगी ।”
ठकुराइन समझ गयी और बोली-
“तू ही खोल दे ना।”
बेला ने नारा खोल दिया । पेटीकोट नीचे सरक गया था और ठकुराइन के उभरे हुए गद्देदार चूतड़ आधे नंगे हो गए थे । उन्हें भी बेला बीच बीच में हाथों दबोच लेता था । थोड़ी देर में ठकुराइन के मुंह से सिसकारियॉं छूटने लगी वो अपने ब्लाउज के बटन खोलते हुए बोली –
“अब थोड़ा पीठ पर मालिश कर ।”
बटन खोल के व पेट के बल बिस्तर लेट गयीं । लेटने में उनके उभरे हुए बड़े बड़े गुलाबी गद्देदार चूतड़ और भी नंगे
हो गए। इतने में ठकुराइन पलटी और बेला उनकी दोनों मांसल टांगो के बीच में बैठ गयी और पैरों मालिस करना शुरू किया । मालिस करते-करते बेला अपनी चूंची और उभार देती थी, और देखा की ठकुराइन की नज़र
उसकी चूंचियों पर ही थी । अब बेला अपना हाथ उनकी पेल्हड़ तक ले गयी और लंड के ऊपर जहाँ पर झांटे
उगती है वहां तक तेल लगा कर हाथ नीचे ले आई ।
ठकुराइन होंठ दबाती हुई बोली-
“हाय…. बेला एक बार फिर वहीँ पर तेल लगा …ना।”
“अरे मालकीन यह पेटीकोट हटा दो न तब तो अच्छी तरह तेल लगा दुंगी ।”
“बेला, तु ही हटा दे यार ।”
बस यह सुनकर बेला ठकुराइन की पेटीकोट निकाल कर कोने में फेक दिया ठकुराइन बिल्कुल नंगी हो गईं । बेला झट से ठकुराइन की लंड पकड़ा और उस पर तेल की मालिस करने लगी । लंड के सुपाडे पर तेल डाला और उँगलियों से रगड़ने लगी फिर नीचे से ऊपर और ऊपर से
नीचे मलती रही । इससे ठकुराइन की लंड चौगुना तनतना उठा । फिर बेला ठकुराइन की लंड की चमडी नीचे की और लाल सुपाड़े को सहलाया ।
उसने बे-काबू होते लंड को पकड़ी और ऊपर-नीचे करना शुरू कर दिया । दूसरे हाथ की तर्जनी अंगुली पर थोड़ा सा तेल लगाकर धीरे से ठकुराइन की भारी गांड के छेद पर लगा दी । पहले अपनी अंगुली उस छेद पर घुमाई फिर दो तीन बार थोड़ा सा अन्दर की ओर पेल दिया । ठकुराइन अपनी गांड सिकोड़ ली फिर बेला की पूरी की पूरी अंगुली उनकी मांसल गांड के अन्दर बिना किसी रुकावट और दर्द के चली गई । ठकुराइन तो अनोखे
रोमांच से जैसे भर उठी । दूसरे हाथ की नाज़ुक अँगुलियों से बेला ठकुराइन की लंड की चमड़ी को ऊपर नीचे
करती जा रही थी ।
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