पेश है नुपूर की जिज्ञासा का अगला भाग| नुपूर मुझे कॉल गर्ल की चुदाई करते देखने को राज़ी हो गयी थी| मुझे विश्वास था बहुत ही जल्दी वो मेरे नीचे भी आने ही वाली है| इस chudai story को और गरम बना देगा ये भाग| enjoy friends..
Chudai Story के अन्य भाग–
पार्ट 2
पार्ट 3
और कुछ याद करके पूछा-“मोनिका, बुरा मत मानना, पर तुम्हारी चूत साफ़ है या बाल है?” वो बोली-“जी बाल है, करीब महीने भर पहले साफ़ किया था, फ़िर अभी तक काम चल रहा है। माथुर सर ने भी कहा कि जब तक कोई औबजेक्ट न करे मैं ऐसे हीं रहने दूँ। आप बोलेंगे तो साफ़ करके आउँगी।” मैंने खुश हो कर कहा-“नहीं-नहीं, तुम जैसी हो वैसी आना। जरुरत हुई तो यहाँ साफ़ कर लेंगे।” और फ़ोन बंद कर दिया।
अब आगे–
इसके तुरंत बाद प्रकाश का फ़ोन आया कि उन्हें अभी वहाँ १० दिन और रुकना होगा, जब तक औपरेशन नहीं हो जाता, नुपूर के नाना का। मेरे लिए यह अच्छा शगुन था। मेरे लिए मोनिका लकी साबित हुई थी। मैं देख रहा था कि नुपूर भी यह सब सुन खुश हो रही है।
नुपूर सब चुप-चाप सुन रही थी। मैने उसके जाँघ पे अपना हाथ फ़ेरा और कहा-“अब तो खुश हो नुपूर बेटी, तुम्हारे मन की ही हो गई।” वो बिना बोले बस मुस्कुरा रही थी। मैने कहा, “आने दो मोनिका को, आज उसकी लैंडिग स्ट्रीप स्टाईल में बना के बताउँगा। वो भी नई है, थोड़ा सीखेगी मेरे एक्स्पीरियेंस से”। वो बोली-“अब खाना बना लेते हैं, दो घन्टें में तो वो आ जायेगी”। नुपूर किचेन में गई, मैं टीवी में बीजी हो गया। करीब ७.३० तक हमने डिनर कर लिया, और बैठ कर मोनिका का इंतजार करने लगे। ८.१० पे कौल-बेल बजी, तो नुपूर तुरंत कुद कर दरवाजे तक पहूँच उसे खोला। मैंने देखा कि एक छरहरे बदन की थोड़ी सांवली लगभग नुपूर की लम्बाई की ही लड़की सामने थी। नुपूर ने उसका नाम पूछा और भीतर ले आई। मैंने मोनिका को बैठने को कहा तो वो सामने सोफ़े पे बैठ गई। नुपूर अभी भी खड़े हो कर उसको घुर रही थी। मोनिका ने चटख पीले रंग का सूती सलवार सुट पहना हुआ था, जो उसके फ़िगर पे सही फ़िट था। लौन्डिया १७-१८ की थी, ३४-२६-३६। मेरी अनुभवी नजरों ने उसका माप ले लिया। मैं अपनी किस्मत पे खुद हैरान था। मेरे पास दो-दो जवान लौन्डिया थी, और दोनो २० बरस से भी कम। मोनिका तो नुपूर से भी उमर में छोटी थी, नुपूर ने दो साल पहले इंटर किया था जबकि मोनिका ने इसी साल किया। हाँ, उसका बदन थोड़ा नुपूर से ज्यादा भरा था। पर फ़र्क सिर्फ़ उन्नीस-बीस का ही था।
मैंने मोनिका से कहा-“ये नुपूर है, यही साथ में रहेगी रूम में और सब देखेगी।” मोनिका ने अब एक पुरे नजर से नुपूर को घूरा उपर से नीचे तक। मैंने पूछा-“डिनर करके आई हो या करोगी?” उसने कहा की नहीं वो जिस दिन बूकिंग कराती है, रात में नहीं खाती। मोनिका ने बताया कि वो सिर्फ़ शनिवार को ही माथुर से बूकिंग कराती है और यह सब वो थोड़ा मजा और थोड़ा पैसे के लिए करती है। इजी मनी, यू नो। मैंने उसको ५००० दे दिये और कहा कि ये जो माथुर से बात थी, अर फ़िर २००० उसको दिए और कहा कि ये उसका पर्सनल हैं मेरे रीक्वेस्ट को मानने के लिए। वो संतुष्ट थी, बोली, “एक बार सर मैं बाथरूम जाना चाहुँगी”। मैंने कहा-“ठीक है थोड़ा साफ़ कर लेना साबून से, आगे पीछे सब” और मैंने उसको आँख मारी, ताकि पहली बार की झिझक कम हो। मुझे उसके चेहरे से लग रहा था कि वो सही में नई थी। मैंने नुपूर को उसे पानी पिलाने को कहा, और वो चली गयी। पानी पी कर मोनिका ने अपना दुप्पटा सोफ़े पे डाला और नुपूर से पूछा-“बाथरूम”…।
करीब दस मिनट बाद वो आयी और कहा कि वो तैयार है, किस रूम में चलें? हम सब मेरे बेडरूम में आ गए, तब मोनिका ने पूछा-“मैं खुद कपड़े उतारूँ या आप दोनों में से कोई?” मैं नुपूर की तरफ़ देख रहा था, कि उसका क्या मिजाज है। उसे लगा कि मैं शायद उसको कह रहा हूँ कि वो कपड़े उतारे, इसलिए वो मोनिका की तरफ़ बढ़ गई। मोनिका ने उसकी तरफ़ अपनी पीठ कर दी। जब नुपूर उसके कुर्ते की जीप नीचे कर रही थी, मोनिका ने नुपूर से हल्के से पूछा-“ये आपके पापा है?” नुपूर सिटपिटा गई। उसे परेशानी से बचाने के लिए मैंने कहा-“नहीं नुपूर मेरे दोस्त की बेटी है, अभी मेरे साथ रहेगी। उसे हीं मन था कि वो एक बार ये सब देखे।” मोनिका के मुँह से एक हल्का सा सौरी निकला। नुपूर ने उसकी कुर्ते को खोलने के बाद उसकी समीज (स्लीप) भी निकल दी। मोनिका काले रंग की एक साटन ब्रा पहने थी। मोनिका की सपाट पेट देख मैं मस्त हो रहा था। चुचियाँ भी मस्त थी, एक दम ठ्स्स। १८ साल की लड़की की जैसी होनी चाहिए। मैं उसकी गदराई जवानी को घुर रहा था। नुपूर ने उसके सलवार की डोरी खींची, और उसको नीचे कर दिया। उसने काले रंग की जाली-दार लेस वाली पैन्टी पहनी हुई थी। पैन्टी में से भी उसकी चुत अपने फ़ुले होने का आभास दे रही थी। सुन्दर सी लम्बी टाँगे, एक दम हल्के हल्के रोएँ थे जाँघों पे। उसके जवान बदन को मस्त निगाह से देखते हुए मैंने कहा-“अब रहने दो नुपूर, तुम आराम से देखो बैठ कर, बाकि मैं कर लूँगा।”
फ़िर मैंने प्यार से मोनिका को बाँहों में उठाया और बेड पे लिटा उसके ओठ चुमने शुरु किये। दो मिनट भी नहीं लगा, और मोनिका के रेस्पौंस मुझे मिलने लगे। नुपूर अपने कैप्री-टी-शर्ट में पास ही चेयर पे बैठ गयी थी। मैंने मोनिका की ब्रा खोल दी, और उसके चुचियों से खेलने लगा। उसकी ठस्स चुचियाँ आजाद हो कर झुमने लगीं। एक बड़े से संतरे के आकार की थी उसकी चुची, जिस पर भूरे रंग का निप्पल मस्त लग रहा था। मैं उन्हें कभी चुमता, कभी चाटता, कभी निप्प्ल खींचता,कभी दबाता… मेरे दोनो हाथ भी कभी इधर तो कभी उधर मजा ले रहे थे। करीब दस मिनट चुम्मा-चाटी के बाद मैंने मोनिका की पैन्टी उसके कमर से खिसकाई, तो उसकी झाँटो भरी बुर के दर्शन हुए। मैंने मोनिका की झाँटों पे हाथ फ़ेरा। उसके झाँट करीब आधा-पौन इंच के थे। उसकी चुत पर मैने अपनी ऊँगली घुमाई और अंदाजा लगाया कि सही में उसकी अभी चुदाई ऐसी नहीं हुई है, जैसी आम रन्डी की हो जाती है। अभी भी वो घर का माल ही थी, माथुर ने सही कहा था। उसकी चुतड़ों का भी मैंने जायजा लिया, गोल-गोल, मुलायम गद्देदार। उन चुतड़ों को हल्के से मैंने दबाया फ़िर उनपर एक हल्की चपत लगाई। मैंने उसके चुत को सुँघा, सुभानल्लाह…, क्या जवानी की खुश्बू मिली मुझे मेरे लन्ड ने एक अँगराई ली। मेरे मुँह से निकला-“बहुत मस्त चीज हो मेरी जान”, उसे अब तक चुप देख मैंने कहा-“थोड़ा बात-चीत करते रहो स्वीटी, वर्ना मजा नहीं आयेगा।” उसने कहा-“ठीक है सर”। मेरे दिमाग ने मुझे उकसाया तो मैं बोला, “अब ऐसे सर-सर ना करो। मुझे तुम डार्लिंग कहो, राजा कहो, जानू कहो, ऐसा कुछ कहो”, तो मोनिका बोली-“अभी ऐसा सब बोलने की आदत नहीं हुई सर, सौरी डार्लिंग”, फ़िर बोली-“मैं डार्लिंग नहीं बोल पाउँगी, आप मेरे से बहुत सीनियर हैं।” मुझे मौका मिल गया, मैं तो अब मोनिका में नुपूर को देख रहा था, सो मैंने कहा-“ठीक है, तो तुम मुझे अंकल तो कह सकती हो?” मोनिका मुस्कुराई-“ठीक है अंकल”।
अब मैंने कहा-“मोनिका, आज मुझे अपनी झाँट बनाने दो, इसके तुम्हें मै, ५०० रु० और दुँगा। वो चुप रही तो मैंने नुपूर से कहा की वो शेविंग किट और पानी ले आए। नुपूर तुंरंत उठ कर चली गई। वो जब तक आई, मैंने मोनिका को बेड पे टौवेल बिछा उस पर बिठा दिया था। मैंने मोनिका को पहले पलट कर घोड़ी बनने को कहा, फ़िर पीछे से उसकी गाँड़ और चुत के आस-पास के बाल पहले कैंची से काट कर फ़िर रेजर से शेव कर दिया। बड़े प्यार से मैने उसकी झाँट बनाई थी,और सोच रहा था काश एक दिन ये साली नुपूर की झाँट बनाने क मौका मिले तो मजा आए। मैंने मोनिका को अब सीधा लिटा दिया और साईड से उसकी झाँटो को कैंची से काटने लगा। चुत की फ़ाँक के ठीक उपर और चुत की होठ पे निकले बाल रेजर से साफ़ कर दिए। अंत में मैंने उसके झाँटों को दोनो तरह से छिलना शुरु किया। सीधा-उल्टा दोनो तरफ़ से रेजर चला कर मैंने उसकी झाँट दोनो साईड से छील दी, और बीच में जो जैसे था छोड़ दिया। करीब दस मिनट बाद मोनिका की बुर एक दम साफ़ हो चमक उठी थी, उसके बुर के ठीक उपर से जहाँ से लड़कियों की झाँट शुरु होती है वहाँ तक करीब आध इंच चौड़ी एक पट्टी के तरह अब झाँट बची हुई थी। नाप के हिसाब से बोलूँ तो करीब तीन इंच लम्बी और आधा इंच चौड़ी और करीब पौना-एक इंच लम्बी झाँटों से अब मोनिका की बुर की सुन्दरता बढ़ गई थी। मैं अपने कलाकारी से संतुष्ट हो कर कहा-“देख लो नुपूर, यही है, लैंडिंग स्ट्रीप, दुनिया की सबसे ज्यादा मशहूर झाँट की स्टाईल”मोनिका की भी नजरें मेरे कला की दाद दे रहीं थी। मैंने कहा-“मोनिका, जाओ एक बार फ़िर से चुत धो कर आओ।” वो टौवेल में अपने कटे हुए झाँटों को ले कर बाथरूम में चली गयी। नुपूर भी शेविंग किट रखने चली गयी, तो मैंने अपने कपड़े उतार दिए, और पुरी तरह से नंगा हो कर अपना लन्ड सहलाने लगा। मैं सोच रहा था कि कैसे नुपूर मेरा लन्ड देखेगी।
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