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नुपूर पहले लौटी। मुझे नंगा देख थोड़ा हिचकी, पर मैं बेशर्म की तरह उससे नजरे मिला कर लन्ड से खेलते हुए बोला-“बैठो आराम से डेढ़-दो घन्टे तो पेलुँगा ही उसको। अगर तुम्हें बुरा लगे तो तुम चली जाना सोने के लिए। मुझे तो अपना पैसा भी वसूल करना है।” नुपूर थोड़ा लजाते हुए कुर्सी पे बैठ गयी। मोनिका अब टौवेल से अपने चुत को पोछते हुए रूम में आई और टौवेल को एक साईड फ़ेंक दिया। मैंने उसको कहा-“आओ मोनिका, जरा लन्ड से खेलो एक बार पहले निकाल दो,फ़िर तुम्हारी चुत चुस कर तुमको भी मजा दुँगा। कोई झिझक मत रखो। अब थोड़ी देर भूल जाओ कि तुम कौल गर्ल हो और पैसे ले कर चुदाने आई हो। आराम से सेक्स करो, जैसे प्रेमी-प्रेमिका करते हैं। तुम्हे भी मजा आयेगा और मुझे ही।” वो मेरे सामने घुटनों पे बैठ गयी और प्यार से मेरे लन्ड को जो अभी तक लगभग ढीला ही था अपने कोमल हाथों में पकड़ लिया। मेरा लन्ड अभी कोई ५” का था ढ़ीला सा, काला। उसने दो चार बार अपने हाथ से पुरे लन्ड को हल्का-हल्का खींचा और फ़िर मेरे लन्ड की टोप से चमड़े को पीछे करने लगी। पर चमड़ा तो पीछे टिकता तब जब लन्ड कड़ा होता, सो वो बार-बार आगे आ जा रहा था। मेरे हाथ उसके कंधों तक फ़ैले बालों के साथ खेल रहे थे। मोनिका ने फ़िर मेरे लन्ड को मुँह मे ले लिया और चुसने लगी। धीरे-धीरे मेरे लन्ड में सुरुर आने लगा, वो अब थोड़ा खड़ा हो रहा था। करीब दो मिनट की चुसाई के बाद मेरा लन्ड ठीक से खड़ा हो गया। उसकी पुरी लम्बाई करीब ८” थी। मोनिका भी मस्ती से लन्ड चुस रही थी, और मेरे अंड्कोष तथा झाँटों से खेल रही थी। लड़की धंधे में नई जरुर थी, पर लन्ड चुसने में उस्ताद थी। मुझे खुब मजा दे रही थी। मैं मोनिका की तारीफ़ की, “वाह मोनिका मजा आ गया, तुम तो बहुत उस्ताद हो यार, वाओ, मजा आ रहा है”। मोनिका ने एक नजर मेरे से मिलायी और फ़िर मेरे लन्ड को दोगुने जोश से चुसने लगी। कोई ७-८ मिनट में मुझे लगा की मैं झड़ जाऊँगा। मैं अभी ५-७ मिनट और रुक कर झड़ना चाहता था इसलिए मोनिका को कहा-“आअह, अब रुको बेटा। मुझे जोर की सु-सु आई है।” मोनिका ने लन्ड मुँह से बाहर कर दिया। मैं तो थोड़ा समय चाहता था कि लन्ड एक बार थोड़ा रेलैक्स हो ले तो फ़िर चुसवाऊँ, सो मैं बाथरुम की ओर नंगे ही चल दिया। बाथरुम में मैं सुन रहा था कि मोनिका और नुपूर बात कर रही हैं। मोनिका ने उससे पूछा कि वो कब ज्वाईन करेगी? तब नुपूर ने कहा कि वो सिर्फ़ देखेगी अभी सब। मोनिका ने कहा-“क्यों आ जाईए दीदी, आपको भी मजा आयेगा”। पर नुपूर ने छोटा सा जवाब दिया, “नहीं ऐसे ही ठीक है।” मैं समझ गया कि ये साली नुपूर आसानी से नहीं चुदेगी, “साली कुतिया”, मैं बड़बड़ाया। अब तक पेशाब करने के बाद मैं लन्ड को पानी से धोया और वो अब तक आधा ढ़ीला हो चुका था, जैसा मैं चाहता था। मैं रुम में आ गया, बेड पर लेट कर कहा-“यहाँ आ जाओ और चुसो, एक पानी निकाल दो मेरी। तुम भी तो नीचे बैठ कर थक गयी होगी।” मोनिका ने फ़िर से मेरे लन्ड को मुँह में डाला और शुरु हो गयी। मैं अब नुपूर साली को उसके हाल पर छोड़ मोनिका से मजे लेने की मुड में आने लगा था। मेरे मुँह से अनायास निकलने लगा, “वाह स्वीटी, बहुत खुब…., अच्छा चुसती हो लन्ड, मजा आ गया…”। मोनिका भी लन्ड मुँह से बाहर करके कहा-“थैक्यु, अंकल”, और फ़िर से चुसने लगी। मैं बोल रहा था-“बहुत खुब बेटा, चुसो और खेलो इसके साथ… आज तुम्हें बहुत मजा दुँगा, तुम बहुत अच्छी हो.. थोड़ा हाथ से भी करो रानी…मैं तुम्हें सिखाऊँगा कि कैसे मर्द को खुश किया जाता है, वेरी गुड… ऐसे ही करो”मोनिका ने हाथ से लन्ड सहलाना शुरु किया और अंड्कोश को चाटने लगी, “अब ठीक है, अंकल?” मैंने जवाब दिया-“हाँ बेटी, बहुत अच्छा… सही कर रही हो..आआआह्ह्ह्ह मजा आ रहा है, चुसे अब और निकल कर सारा माल खा जाओ..”रगिनी जोर जोर से अब लन्ड चुस रही थी। मैं झड़ने की स्थिति आने पर बेड से उठा और फ़िर मोनिका को कहा, “मुँह खोलो बेटा, सब खा जाओ”, और उसके मुँह में झड़ गया। मोनिका भी सहयोग करते हुए सारा निगल गयी, चुस चाट कर लन्ड साफ़ कर दिया। लन्ड अब हल्के-हल्के ढीला होने लगा। मेरा पुरा ध्यान अब मोनिका पर था, नुपूर को मैंने उसके हाल पे छोड़ दिया था। मैंने अब मोनिका को कहा कि अब वो आराम से लेटे, और मैं अपनी ऊँगलियाँ उसकी ताजा ताजा साफ़ हुई चुत पर घुमाई। उसकी चुत एक दम गीली हो गयी थी,ऐसा लग रहा था कि पसीज रही हो। मैंने एक नजर नुपूर पे डाली, वो एक टक बेड पे देख रही थी, उसकी नजर भी मोनिका की चुत पर थी। मैं झुका और एक प्यारा सा चुम्मा उसके चुत की फ़ाँक की उपर की साईड पर चिपका दिया, ’मजा आया मोनिका बेटा?” हल्के से काँपती आवाज में उसने कहा, “हाँ अंकल बहुत, आप बहुत अच्छे हैं”। मैं अब अपनी जीभ उसके चुत की फ़ाँक पर घुमा रहा था और नमकिन पानी चाट रहा था। फ़िर मैंने उसके पैरों को फ़ैला कर उसकी चुत खोल ली और उसके चुत तो चाटने चुसने लगा। मोनिका कभी आह भरती, कभी सिसकती, तो कभी एक हल्का सा उउउउउउम्म्म्म्म्म्म आअह्ह्ह…। उसे मजा आने लगा था। लड़की चोदते हुए मुझे करीब २५ साल हो गए थे, और मैं अपने अनुभव से किसी भी रन्डी को मस्ती करा सकता था। मोनिका तो अभी भी बछिया ही थी मेरे लिए, जब कि मैं एक साँढ़, जो शायद तब से चूत चोद रहा था जब से इनकी मम्मी चुदाना भी नहीं शुरु की थी। मैं अब मोनिका को सातों आसमान की सैर एक साथ करा रहा था। थोड़ी देर बाद मैंने मोनिका की चुत से मुँह हटाया। वो बिल्कुल निढ़ाल दिख रही थी। मैंने उसको तकिये के सहारे बिठा दिया और अपने दाहिने हाथ की बीच वाली ऊँगली चुत में घुसा दी। फ़िर उपर की तरफ़ उँगली को चलाते हुए मोनिका के जी-स्पौट को खोजना शुरु किया, और तभी मोनिका का बदन हल्के से काँपा। मुझे अपने खोज में सफ़लता मिल गयी थी। मैने अपने उँगली से चुत के भीतर उस जगह कुरेदना शुरु किया तो मोनिका मचलने लगी-“आआआआआअह्ह्ह्ह्ह अंकल , उउईईईमाँ…. इइइस्सस….। अचानक वो छटपटाई, अर फ़िर एक दम से ढीली हो गयी। मैं समझ गया कि साली को पहला चरमसुख मिल गया। मैने ऊँगली बाहर निकाल ली। उसको पहली बार जी-स्पौट का मजा मिला। मोनिका एक दम से शांत हो गयी थी। मैनें उसे पुकारा-“मोनिका बेटा, कैसा लगा… कुछ बताओ भी।” वो उठी और मेरे से लिपट गई, मुझे जवाब मिल गया। हम दोनों एक एक बार झड़ गए थे। मेरा लन्ड फ़िर से मस्त हो चुका था। मै बेड से उठा और साईड टेबल पर रखे जग से थोड़ा पानी पिया, और मोनिका की तरफ़ देखा तो उसने इशारे से पानी माँगा। एक ग्लास पानी पीने के बाद उसके मुँह से बोल निकले-“ओह अंकल, आज तक ऐसा नहीं लगा था। बहुत अच्छा लगा अंकल, थैंक्स। अभी तक तो मेरा एक्स्पीरियंस था कि मर्द लोग धक्के लगा लगा कर खुद मजा लेते, पर मेरे मजा आने के पहले ही, शांत हो जाते। आज पहली बार पता चला असल सेक्स क्या है।” मैंने नुपूर की तरफ़ देखा। वो शांति से सब देख रही थी, पर अब उसकी टाँगे थोड़ी आपस में जोर से सटी हुई लगी। उसकी भी चुत गीली हो गयी थी। मैंने उसी को देखते हुए कहा-“अभी कहाँ तुम्हें पता चला है कि सेक्स क्या होता है। वो तो अब पता चलेगा जब इस लन्ड को तुम्हारी बुर में पेल कर तुम्हारी चुदाई करुँगा। जल्दी से रेडी हो जाओ चुदवाने के लिए।” मैं अपने लन्ड को सहला सहला कर सांत्वना दे रहा था कि पप्पु जल्दी ना कर, अभी लालमुनिया मिलेगी चोदने के लिए। दो मिनट बाद मोनिका बोली-“आ जाइए अंकल, मैं तैयार हूँ।” वो तकिये पर सिर रख कर सीधा लेट गयी। मैंने उसके पैरों को घुटने से हल्का मोड़ कर उपर उठा दिया जिससे उसके गीली गीली बुर एक दम से खुल गई। भीतर का नन्हा सा गुलाबी फ़ूल सामने दिख रहा था। मैं उसकी खुली टाँगों के बीच आ गया और अपने ७२ किलो के बदन के उसके उपर ले आया। फ़िर अपने बाँए हाथ से थुक निकाला और अपने लन्ड की फ़ुली हुई सुपाड़ी पे लगा कर लन्ड मोनिका की बुर पे सेट कर लिया, पूछा-“पेल दूँ अब भीतर मोनिका?” उसका सिर हाँ में हिला। “ठीक है फ़िर चुदो बेटा”, कहते हुए मैंने लन्ड भीतर ठाँसने लगा। मोनिका हल्के से कुनमुनाई। मैंने एक जोर का ध्क्का लगाया और पुरा ८” लन्ड भीतर पेल दिया। मोनिका की आँख बन्द थी, “आआअह” मुँह से निकली, और उसने आँख खोल कर भरपुर नजरों से मुझे देखा। मैंने उसके कान में कहा-“जब मैं चोदुँगा तो मुझे खुब गाली देना, मजा आएगा।”

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