नमस्कार दोस्तों, आपको शायद इस अजीबो गरीब कहानी पे विश्वास नहीं होगा पर ये कहानी सच में मेरे दोस्त के साथ हुई है| इस Hindi Sex Kahani में उसकी माँ के लंड की दास्ताँ है| एक बेटे के लिए ये सब देखना उसे किसी और दुनिया में होने का आभाष करवाता है| आप भी इस shemale sex story को पढ़िए और अपने विचार बताइए| अब ये sexy story उसी की जुबानी-
Sexy Story के अन्य भाग–
पार्ट 1
पार्ट 2
पार्ट 3
मेरा नाम मोनू है, और मेरा उम्र 19 साल है । एक बहुत ही अजीब हादसा मेरे साथ हुआ था, जो मुझे बहुत डिस्टर्ब के साथ साथ उत्तेजित भी कर रहा था । ये घटना मेरी मम्मी पर है जो बहुत सरल है और जिसे मैँ एक घरेलु औरत सभझता था, जो रोज पूजा पाठ किए बगैर घर से नहीं निकलती थी, व इस तरह….।
मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था क्या किया जाए ….. बात उन दिनों कि है जब पिताजी की अचानक मौत हुई, जो सेना मैँ ब्रिगेडियर थे । मम्मी एकदम टूट चुकी थी । मेरा ठिक तरह से देखभाल और पढ़ाई करने हेतु मम्मी दिल्ली मै रहने का फैसला किया ।
हमें दिल्ली आये हुए लगभग एक महीना हो चुका था और इस बीच मम्मी ने यहां एक अच्छा सा मकान का प्रभन्ध कर लिया था । यहां मैं आप लोगों को मम्मी के बारे मे बता दुं, मम्मी की उम्र 33 है ।
व एकदम एक मारवाड़ी औरत की तरह दिखती है । पतली कमर और बड़ी सी उभरी हुई चौड़ी गांड, हर मारवाड़ी औरतों की पहचान । गठिली बदन होने के कारण मम्मी बहुत सेक्सी लगती थी । क्योँकि उसकी फिगर है ही इतना सुडौल 36-27-36 ।
उसकी बडी बडी चुचियां, मोटी मोटी जांघेँ और उभरी हुई चौडी चुतड किसी भी मर्द को पागल बना देने मेँ सक्षम थी । एक भारतीय नारी की तरह व हमेशा साडी ही पहनती थी । साडी पहन कर जब व चलती है तो उसकी चौडी चुतड की लचक देखने लायक होती है ।
उसने बिजनेस में माष्टर डिग्री प्राप्त की थी और दिल्ली आते ही मम्मी ने
एक बहू-राष्ट्रीय कम्पनी मेँ अधिकारी के पद के लिए बहुत रात गए तक पढाई करती रहती । शायद नौकरी करने पर उसकी सुनापन दूर हो सके । थोडे दिनों बाद इंटरव्यु हुई और मम्मी की नौकरी पक्की हो गई । सात लाख रुपया वेतन वार्षिक निश्चित हुआ । अब मम्मी बहुत खुश थी । पैसों की अब कोई चिन्ता न थीँ । मन ही मन बहुत खुश थी ।
ये खबर जब पडोस के अंकल को मालुम पडा तो मम्मी से बोले-
“बहिन, क्या तुम नौकरी करोगी ?”
“हां भाई साहब- घर चलाने के लिए कोई तो नौकरी करनी पडेगी ।” मम्मी बोली ।
“तुम घर की बहू हो, इज्जत हो, घर छोडकर दुनिया की ठोकरें खाओगी ।”
“जीने के लिए रुपये तो कमाने ही होंगे । ये कम्पनी मुझे सात लाख वार्षिक तनखा देगा और विदेश टूर भी है । मेरी विदेश घुमने की वर्षों की तमन्ना भी पूरी हो जाएगी ।” मम्मी ने जवाब दी ।
“बहिन, इस कम्पनी मेँ काम करना तुम्हारे लिए ठिक नहीँ रहेगा । कम्पनी के बारे में उल्टी सिधी बातें हो रही है ।”
“ये सब बेकार की बातें हैं काम तो काम होता है भाई साहब, फिर वे मुझे इतने ज्यादा रुपये का तनखा देंगे ।” मम्मी जवाब दिया ।
“पर बहिन, औरोतों के मामले में इसके रेपुटेसन कुछ ठिक नहीं है ।”
“मैंने निश्चय कर ली है कि मैं ये नौकरी करुंगी ।”
मम्मी किसी की बात नहीं सुनी और अपनी निर्णय सबको सुनाने के बाद अंदर चली गई । आखिर सबको उसकी बात मानना पडा ।
पर एक समस्या मम्मी को चिन्ता में डाल दिया,यही कि बहु-राष्ट्रीय
कम्पनी की वाईस सी.ई.ओ होने कि वजह से उसे महीने का आधा दिन दुसरे दोशों में कार्य करनी होगी । उसकी आधा दिन टूर में कट जाएगा और व मेरा ध्यान ठिक से नहीं रख पाएगी ।
मजबुरन मम्मी ने मुझे दुर के एक बोर्डिंग स्कुल में एडमिशन करा दिया । अब मम्मी की जिम्मेदारी थोडी कम हुई और व निश्चिंत होकर टूर पर जाने लगी । समय बितता गया और मैं पुरी ध्यान पढ़ाई मेँ लगा दी ।
मम्मी महीने में दो बार मुझे देखने आती थी,विदेश से लौटते ही यहां आती है । अब मम्मी पहले से ज्यादा निखर गई थी काफी खिली हुई दिखती थी, क्यूँ न हो ज्यादा तनखा और विदेश घुमना । धिरे धिरे मम्मी का आना कम होता गया, अब तो दो तिन महीने में एक बार आती है । अब महीने भर तक उसे कभी फ्रांस, कभी अष्ट्रेलिया, कभी रोम में रहना पड रहा था ।
अब तो मुश्किल से साल भर में दो तिन बार आती थी,पिछली बार जब आई थी तो अपनी दुःख जता रही थी कि एक नए प्रोजेक्ट को लेकर व्यस्तता हेतु व अपनी बेटे को समय नहीं दे पा रही है । जब भी आती है हमेशा किसी न किसी का फोन आता रहता है, व मुझसे ठिक से बातें भी नहीं कर पाती थी और चली जाती थी ।
छुट्टियों में मैं पडोस के अंकल के घर रह लेता था । मुझे युं लग रहा था कि मम्मी अब पहले से ज्यादा बदल गई है, बेटे से ज्यादा उसे काम पर ध्यान रहता है । फोन पर बडी उत्सुकता से बातें करते देख कर मुझे मम्मी की तेवर कुछ ठिक नहीं लग रहा था । खैर !
देखते देखते पाँच साल गुजर गए । अब मम्मी तीन सालोँ से केनाडा में थी, कह रही थी अगले दस साल तक उसे वहीँ पे रहना पडेगा । इसीलिए मम्मी परीक्षा खतम् होते ही मुझे अपने पास केनाडा ले जाने की बात कह रही थी । अब मैं 19 साल का हो गया था और इंटर पास् करके मम्मी के पास केनाडा चला अया था । यहां मम्मी एक काँलेज में मेरा एड़मिशन करा दिया ।
मम्मी की भी उम्र अब 38 हो गई थी, उम्र का छाप उसकी चेहरे पे दिखाई दे रहा था । मम्मी की बदन पे अब थोड़ा भारीपन आ गया था । फिर भी उसकी बदन बडा ही गठिला था । उसकी जांघें खम्बे के समान मोटे थे । गांड़ तो और भी चोडी हो गई थी बडी सेक्सी चुतड थी मम्मी की ।
एक दिन तेजी बारिश के कारण मेरे क्लासेस सस्पेँड होने से मैं 2.00 बजे घर लौट आया । घर पहुंच कर देखा कि मम्मी की गाडी गैरज के अंदर है, शायद व आज जल्दी वापस लौटी हो । मुख्य दरवाजा अंदर से बंद था, अकेली होने के वजह से मम्मी शायद दरवाजा बंद की थी। मैंने आवाज लगाया … कोई उत्तर नहीं मिला । अंदर से ड्राईयर मशीन की आवाज आ रही थी । शायद इसीलिए मम्मी मेरा आवाज नहीं सुन पाई ! मैंने पिछवाडे की और गया जिधर से मशीन की आवाज आ रही थी । मम्मी की कमरे से आवाज आ रही थी तो मैं उस और गया देखा कमरे की एक खिड़की खुली थी लेकिन परदा लगा हुआ था । आखिर मम्मी अंदर कर क्या रही है !
ईधर उधर देखने पर परदे मेँ एक छेद दिखाई पडा झट से मैंने छेद से अंदर झांका, चारों और आँख दौड़ाया और मम्मी को देखते ही मैं अवाक रह गया किया । मम्मी एकदम नंगी खिड़की की और पीठ किये खडी थी । मम्मी की पतली कमर के निचे उनकी उभरी हुई भारी गांड देखते ही मेरा लंड तन कर खड़ा हो गया है । मैंने इससे पहले कभी मम्मी की नंगी बदन नहीं देखी थी । मम्मी की चौडी गांड एकदम सेक्सी लग रही थी ।
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