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read sex story meri maa ka lund part 3


नमस्कार दोस्तों, ये मोनू की मां की Hindi Sex Story का आखिरी पार्ट है. आज मम्मी अपनी भाभी की बजाएगी. अगर आपको ये Hindi Sex Kahani पसंद आई हो तो कमेंट्स ज़रूर कीजियेगा.. Sexy Story के अन्य भाग– पार्ट 1 पार्ट 2 पार्ट 3 मैँने अब अपना लंड सहलाते हुए मम्मी की करतूतेँ देखने लगा । मम्मी की दोनों हाथ रामकली आंटी के मोटे गुदाज जांघों से खेल रहे थे । रामकली आंटी ने अपने दोनों हाथों को शुरू में तो कुछ देर तक अपनी चुचियों पर रखा था और अपनी चुचियों को अपने हाथ से ही दबाती रही तभी उसने सोचा ऐसे करते करते तो व फिर उसकी निकल देगी जबकि व आज तो बहुरानी की पूरी नंगी बदन देखेगी और जी भर के उससे चुदवाना चाहती थी । इसलिए रामकली ने मम्मी के हाथोँ को पकड लिया और कहा-
“बहू रूको ।” “क्यों मज़ा ऩहीँ आ रहा है भाभी, जो रोक रही हो ।” “बहू मज़ा तो बहुत आ रहा है मगर !” “फिर क्या हुआ भाभी ।” “फिर, मैं कुछ और करना चाहती हूं बहू ।” इस पर मम्मी मुस्कुराती हुई पुछी-“तो तुम और क्या करना चाहती हो ।” “ये देखना है ।” कह कर रामकली ने एक हाथ सीधा मम्मी के जांघोँ के म्ध्य रख दी । मम्मी थोडी मुस्कराई और बोली-
“हां भाभी, सब करूंगी, सब करूंगी जो तुम कहोगी व सब करूंगी, मुझे तो विश्वास ऩहीँ हो रहा की मेरी ज्यादा से ज्यादा बुर चोदने का सपना सच होने जा रहा है । मैं यहां आते ही तुम्हेँ चो…।” “हां, हां बोलो ना क्या करना चाहती थी, अब तो खुल के बात करो बहु, शर्माओ मत “। “हां भाभी कब से तुम्हेँ मैँ चोदना चाहती थी पर कह ऩहीँ पाती थी, पर अब तो तुम्हेँ मेरी गहरी राज का पता चल गया है ।” “कोई बात ऩहीँ बहू व भला हुआ की आज मैँने खुद ही पहल कर दी, पर बहू जबसे तुम्हारी राज मेरे सामने आया है, मैँ भी तुम्हारी लंड अपनी बुर मेँ लेने के लिए तरसती जा रही हुं, चलो दिखाओ अपनी नंगा बदन ।” कह कर रामकली आंटी ने मम्मी को बिस्तर से नीचे उतार दिया और सामने मम्मी को खडा कर दिया । “इधर आओ मेरे पैरो के बीच में अभी तम्हेँ दिखती हू ।” कहने के साथ मम्मी अपनी साडी को बदन से अलग कर दी और धीरे-धीरे करके अपने ब्लाउस के एक बटन को खोलने लगी । ऐसा लग रहा था जैसे चांद बादल में से निकल रहा है । धीरे-धीरे मम्मी की गोरी गोरी चुचियां दिखने लगी । ओह! गजब की चुचियां थी मम्मी की, देखने से लग रहा था जैसे की दो बडे नारियल दोनों तरफ लटक रहे हो । एक दम गोल और आगे से नुकीले तीर के जैसे । मम्मी के निपल थोडे मोटे और एकदम खडे थे और उनके चारोँ तरफ हल्का गुलबीपन लिए हुए गोल गोल घेरा था । निपल भूरे रंगे के थे । मम्मी अपने हाथों से अपने चुचियों को नीचे से पकड कर चुचियों पर हाथ फेरते हुए रामकली आंटी को दिखाती हुई हल्की सी हिलायी और बोली-
“खूब सेवा करनी होगी इसकी तुम्हेँ ।” कह कर मम्मी फिर अपने हाथोँ को अपने पेटीकोट के नाडे पर ले गई और बोली-
“अब देखो भाभी तुमको जन्नत का दरवाजा दिखती हूं, अपनी बहूरानी की स्पेशल हथियार देखो, जिसके लिए मैँ तुम्हेँ आज यहां लायी हुं ।” कह कर मम्मी ने अपनी पेटीकोट के नाडे को खोल दी ।
पेटीकोट उसकी कमर से सरसराती हुई सीधे नीचे गिर गया और मम्मी ने एक पैर से पेटीकोट को एक तरफ उच्छाल कर फेँक दिया और बिस्तर के और नज़दीक आ गई । रामकली आंटी की नज़रेँ मम्मी की जांघोँ के बीच में टिकी हुई थी । मम्मी की गोरी-गोरी चिकनी मांसल जांघोँ के बीच में काले काले झांटोँ के बिच से एक 8 इंच के करीब लम्बा और मोटा लंड अंडोँ के साथ लटक रहा था । उत्तेजने के कारण मम्मी की लंड तनने लगा था । झांटोँ के बीच में से मम्मी की विशाल लंड की पूरी झलक मिल रही थी, रामकली आंटी ने अपने हाथोँ को मम्मी के जांघोँ पर रखा और थोडा नीचे झुक कर ठीक लंड के पास अपने चेहरे को ले जा के देखने लगी । मम्मी ने अपने दोनोँ हाथ को रामकली के सिर पर रख दिया और उसकी घने लम्बे बालोँ से खेलने लगी फिर बोली-
“रुक जाओ ऐसे ऩहीँ दिखोगी तुम्हेँ आराम से बिस्तर पर लेट के दिखाती हू ।” “ठीक है, आ जाओ बिस्तर पर, बहू एक बार ज़रा पिछे घुमो ना ।” “ओह, मेरी रानी मेरी गांड भी देखना चाहती हो क्या ? चलो गांड तो मैं तुम्हेँ खडे-खडे ही दिखा देती हूं, लो देखो अपनी बहू की लंड और गांड को ।” इतना कह कर मम्मी पिछे घूम गई । ओह! कितना सुंदर दृश्य था व । इसे मैं अपनी पूरी जिंदगी में कभी ऩहीँ भूल सकता । मम्मी की गांड सच में बडे खूसूरत थे । एक दम गोल-मटोल, गुदाज, मांसल और बीच में दो बडे-बडे अंडे जैसे अंडकोष जो की उसकी गांड की छेद के निचे थे । रामकली आंटी ने मम्मी को थोडा झुकने को कहा तो मम्मी झुक गई और रामकली आराम से मम्मी की मक्खन जैसे चुतडोँ को पकड के अपने हाथोँ से मसलती हुई उनके बीच की दरार को देखने लगी । दोनोँ चुतडोँ के बीच में गांड की भूरे रंग की छेद थी, रामकली आंटी ने हल्के से अपने हाथ को उस छेद पर रख दिया और हल्के -हल्के उसे सहलाने लगी, साथ में मम्मी की गांड को भी मसल रही थी । पर तभी मम्मी आगे घूम गई और बोली- “चलो मैं थक गई खडी-खडी अब जो करना है बिस्तर पर करेंगे ।” और मम्मी बिस्तर पर चढ गई । पलंग की पुष्ट से अपने सिर को टिका कर उसने अपने दोनो पैरोँ को रामकली आंटि के सामने खोल कर फैला दिया और बोली- “अब देख लो आराम से, पर एक बात तो बताओ तुम देखने के बाद क्या करेगी कुछ मालूम भी है या ऩहीँ ?” “हां, बहू मालूम है ।” “अच्छा चुदोगी ।” “मैं पहले तुम्हारी लंड चुसना चाहती हूँ ।” तब मम्मी ने अपनी पैरोँ के बीच इशारा करते हुए कहा- “नीचे और भी मज़ा आएगा, यहां तो केवल तिजोरी का दरवाजा था, असली खजाना तो नीचे है ।” रामकली आंटी धीरे से खिसक कर मम्मी के पैरोँ पास आ गयी । मम्मी ने अपने पैरोँ को घुटनोँ के पास से मोड कर फैला दिया और बोली- “यहां, बीच में, दोनोँ पैर के बीच में आ के बैठो तब ठीक से देख पाओगी अपनी बहू की खजाना । रामकली उठ कर मम्मी की दोनोँ गदराए जांघोँ के बीच घुटनोँ के बाल बैठ गयी और आगे की और झुकी । सामने मेरे वो चीज़ थी जिसको देखने के लिए मैं मारा जा रहा था । और अपने लंड को मुठियाते हुए मैँने फिर से अंदर झांका । मम्मी ने अपनी दोनोँ जांघेँ फैला दी और अपने हाथोँ को अपने लंड के उपर रख कर बोली- “लो देख लो अपना मालपुआ” मेरी खुशी का तो ठिकाना ऩहीँ था । सामने मम्मी की खुली जांघोँ के बीच झांटोँ का एक त्रिकोना सा बना हुआ था । इस त्रिकोने झांटोँ के जंगल के बीच में से मम्मी की फूली हुई लम्बा लंड तन रहा था । रामकली ने अपने कांपते हाथोँ को मम्मी की चिकने गुदाज जांघों पर रख दिया और थोरा सा झुक गयी । मम्मी कि लंड के बाल बहुत बडे-बडे ऩहीँ थे, घुंघराले बाल और उनके बीच एक खम्बा जैसा बाहर निकली हुई थी मम्मी की लंड । रामकली आंटी ने अपने दाहिने हाथ को जांघ पर से उठा कर हकलाते हुए पुछा-“बहू मैं इसे छु लूं…….”

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