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read sex story meri maa ka lund part 2


मोनू की मम्मी की sexy kahani को आगे बढाता हूँ| कुछ पाठको एंड पाठिकाओं के ईमेल आये तो बड़ी ख़ुशी हुई| आशा है इस hindi sex story का दूसरा भाग आपको और भी अच्छा लगे- Desi Story के अन्य भाग– पार्ट 2 पार्ट 3 संगीता ने मम्मी को पीठ के बल लिटा दिया और उसकी पेटीकोट को कमर के उपर तक उठा दी । अब मम्मी कमर के निचे बिल्कुल नंगी हो गई । मुझे मम्मी की लंड साफ दिखाई पडा । उसकी अंडकोष बिस्तर पर गडे थे और मुर्झी हुई लंड पेट पर था । लंड और अंडकोष घने झांटो से भरे होने के कारण मम्मी की गदराया बदन बहुत मस्त लग रहा था ।
अब संगीता बगल मेँ लेट गई और मम्मी की उरोजोँ को मसलने लगी । इसी मस्ती मेँ उसकी लंड मेँ तनाव आने लगा । संगीता दुसरे हाथ से मम्मी की बडे से अंडोँ को मुठ्ठी मेँ भर कर मसलते हुए उसकी होँठ चुमने लगी । अब मम्मी की लंड एकदम तन कर खडा हो गया, करीब 8 इंच के आस-पास । तभी संगीता मम्मी की तनी लंड को मुठ्ठी मेँ भर ली और धिरे-धिरे सुपाडा को अंदर-बाहर करने लगी । मम्मी मस्ती मेँ आंखेँ बंद कर के दांतोँ तले होँठ दबाने लगी । अंदर का नजारा देख के मेरा लंड फुँकार मारने लगा । “बहुत अच्छी, अब मेरी लंड चुसिए ।” मम्मी आहेँ भरती हुई बोली । तभी संगीता अपनी मुँह निचे की और लाई और जैसे ही मम्मी की लाल सुपाडी पर जिभ रख दी, मम्मी चिहुंक उठी और गांड को उछाल दी । संगीता मम्मी की लंड को हाथ मेँ भर कर मुठ मारने लगी और सुपाडी पर जिभ चलाने लगी । मम्मी आंख बंद किए सिसकारी मारने लगी थी और अपनी लंड चुसवाने का मजा उठाती रही । तभी उसने पूरी लंड को मुँह मेँ भर कर चुसना शुरु कर दिया । मम्मी से अब रहा नहीँ गया । व संगीता की सर को दोनोँ हाथोँ से पकड कर अपनी लंड पर दबाने लगी और मस्ती मेँ कराहते हुए गांड उछालने लगी । करीब दो मिनट तक मम्मी अपनी लंड चुसवाने के बाद उसे रोक दी और उठ खडी हुई । “अब मेरी गांड चुसिए ।” मम्मी अपनी उभरी चुतडोँ पर हाथ फिराती हुई संगीता से बोली । मम्मी ने संगीता को चित्त लेट जाने को कहा। और उसने एक चुम्मा लेकर अपनी पेटीकोट को कमर तक सरका ली और फिर संगीता की मुंह के ऊपर अपनी 6 इंच का लंड पकड कर बैठ गई। संगीता ने मम्मी की मूषल लंड के लाल सुपाडा से फोर-स्कीन को निचे सरका दी और होले से अपनी जीभ की टिप लंड की लाल सुपाडा पर रख दी। मम्मी की तो एक सीत्कार क्या हलकी चीख ही निकल गई । संगीता ने नीचे से ऊपर अपनी जीभ फिराई गांड के सुनहरे छेद तक और फिर ऊपर से नीचे तक। ऊईइ माँ….. कहते हुए मम्मी ने अपनी दोनों अन्डकोशों को संगीता मुंह में भर दिया । फिर उन्होंने उन अंडों को मुंह के अन्दर ही गोल गोल घुमाना शुरू कर दिया। मम्मी की लंड का बुरा हाल था । अब संगीता ने मम्मी की सुपाड़ा अपने होंठों में लेकर दबाया। सुपाड़े पर आये प्री-कम पर अपनी जीभ टिकाई और अपनी जीभ सुपाड़े पर फिराई लंड के ऊपर से नीचे तक। फिर जब उन्होंने मम्मी की अन्डकोषों को चाटा और उनकी गांड के सुनहरे छेद पर अपनी जीभ की नोक लगा दी। गांड का छेद तो कभी खुल रहा था कभी बंद हो रहा था। व तो जैसे संगीता को ललचा ही रहा था फिर उसने ने थूक से उसे तर कर दिया था। संगीता अपनी एक अंगुली उसमें डालने की कोशिश की पर वो उसे असुविधाजनक लगी तो अपने अंगूठे पर थूक लगा कर गच्च से मम्मी की गांड के छेद में डाल दिया। अब मम्मी अपनी लंड को एक हाथ से पकड़ कर उनकी मुँह के नरम नाजुक होंठ पर लगा दिया और गच्च से संगीता की मूँह में डाल कर अन्दर बाहर करने लगी। मम्मी तो सीत्कार पर सीत्कार किये जा रही थी और अपनी गदराए नितम्ब उछाल उछाल कर जोर जोर से बड़बड़ा रही थी, “हाई … जानू ऐसे ही चूसो … या…. ओह …. और जोर से और जोर से …” कोई 4-5 मिनट तक संगीता मजे ले कर मम्मी की लंड चूसती रही, मम्मी की लंड अब पूरे 8 इंच का हो गया था। बीच बीच में मम्मी की गांड को सहलाती कभी उनकी गांड के छेद पर अंगुली फिराती । तभी संगीता उठी और मम्मी को चित लिटा दिया उसने साइड में पड़ी स्टूल पर रखी तेल की शीशी उठाई और मम्मी की लंड को जैसे नहला ही दिया। अब एक हाथ से उसकी अंडकोष पकड़ लिए और दूसरे हाथ से मम्मी की लंड को सहलाने लगी। मम्मी तो आ … उन्ह … ओईईइ … करता मीठी सित्कारें मारने लगा। संगीता ने तेजी से हाथ चलाने लगी। मम्मी जोर से अपनी चौडी मांसल गांड उछली रही और उसके साथ ही व आ … उ.ऊ … ओईईइ … करने लगी मानो रो पडेगी और मम्मी की लंड से पिचकारी फूट गई और तेज फौबारे के साथ ढेर सारा विर्य निकलने लगा। सारा वीर्य उसके हाथों और जाँघों और मम्मी पेट पर फ़ैल गया। और वो एक और लुढ़क गयी। उनकी आँखें बंद थी और साँसें जोर जोर से चल रही थी।
मैं हक्का बक्का उन्हें देखता ही रह गया। पता नहीं ये क्या हो गया।
कोई 3-4 मिनट के बाद मम्मी ने आँखें खोली और संगीता से लिपट गई। उसकी होंठों पर तड़ातड़ 4-5 चुम्बन ले लिये, मम्मी को अपने आप पर बड़ी शर्म सी आई। इतनी जल्दी तो व पहले कभी नहीं झडी था। आज पता नहीं क्या हुआ था कि व इतनी जल्दी खलास हो गई। तभी संगीता बोली-“चिंता करने की कोई बात नहीं है। मैं जानती थी तुम्हारी ये औरतोँ वाला लंड पहली बार में जल्दी झड़ जाएगी। इस लिए यह करना जरुरी था। अब देखना, तुम बड़ी देर तक अपने आप लंड के तनाव को रोक पाओगे। मैं नहीं चाहती थी कि मेरी बुर चोदते समय तुम जल्दी झड़ जाओ और ठीक से चोदाई का मज़ा ना ले पाओ !” मम्मी ने बाथरूम में जाकर अपनी लंड, अंडकोष, पेट, जाँघों और हाथों को अच्छी तरह धोये,अपना पेटीकोट को खोल दी और बड़ी अदा से अपनी कुल्हे और भारी चौडी नितम्ब मटकाती वो पलंग के पास आकर खड़ी हो गई। उसकी गदराया बदन देख कर तो मेरा शेर फिर से कुनमुनाने लगा था।
मम्मी उसे अपनी बाहों में भर कर चूम ली। संगीता ने अपने होंठ मम्मी की होंठों पर रख दिए। संगीता मम्मी को अपनी बाहों में जोर से भर कर उनकी चुचियोँ को जोर जोर से चूसना चालू कर दिया। मम्मी की तो सीत्कार पर सीत्कार निकल रही थी। अब मम्मी उसकी नाभि और पेट को खूब अच्छी तरह से चाटाते हुए उसकी पेटीकोट के ऊपर से ही हाथ फिराना शुरू कर दिया और अपने हाथों को संगीता की जांघों के बीच ले जा कर उसकी बुर को अपनी मुट्ठी में भर कर मसलने लगी। मम्मी संगीता की मक्खन सी मुलायम जांघों को भी खूब चाटा और चूमा। जब मम्मी हाथ बढ़ा कर उनकी पेटीकोट हटाने लगा तो संगीता ने अपनी पेटीकोट की डोरी खुद ही खोल दी। संगीता की अधेड बुर देखने लायक था। घने काले झांटों ते बीच गुलाबी रंग के फांकें तो जैसे सूज कर मोटी मोटी हो गई थी। मम्मी उसकी टांगो के बीच में आ गई। उसने अपनी बुर की फांकों को दोनों हाथों से पकड़ कर चौड़ा किया और मम्मी से बोली,

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