तभी मनोज ने गर्दन उपर उठाई तो मम्मी ने उसके होंठ चुमने लगी । अब मम्मी रफ्तार बढ़ाती हुई जोर जोर से मनोज के गांड में अपनी लंड अंदर बाहर करके चोदने लगी । अब मम्मी मस्ती में सिसकने लगी थी और तेजी से गांड उछालती हुई मनोज को चोदने लगी । फिर मम्मी मनोज की पीठ पर लुढक कर धिरे धिरे अपनी भारी चुतड मनोज के गांड m दबा रही थी ।
कुछ देर बाद मम्मी उठी और उसके गांड से अपनी लंड बाहर निकाल ली और मनोज को पीठ के बल लेट जाने को कही । मनोज मम्मी की बात मानते हुए पलंग पर लेट गया । अब मम्मी संगीता देवी को उसके लंड पर बैठने को कही तो उसने बोली –
“आखिर क्या करने वाली हो तुम ।”
“माँ जी ! आप पहले बैठिए तो सही, फिर देखते जाईये मैं क्या करती हुँ ।” मम्मी बोली ।
मैं बडे ध्यान से मम्मी की करतूतें देख रहा था । मेरी विधवा मम्मी शर्म का लिवास को उतार फेंकी थी और मस्ती में डुबी हुई थी ।
फिर से मैंने अंदर झांका ।
संगीता मनोज की लंड पर बैठ चुकी थी । मम्मी अब संगीता की जांघों को फैलाई और अपनी घुटनों को दोनो तरफ करके जांघों के बिच बैठ गई । मैं समझ गया कि मम्मी क्या करने जा रही है, मेरा लंड कडा हो गया और मैं मुठ मारना शुरु कर दिया । आखिर मम्मी ये चोदाई के सारे फाँर्मुला सिखी कहां से ? खैर !
मैं फिर से अंदर झांका । मनोज निचे से संगीता की गांड में लंड घुसा चुका था । मम्मी उसकी जांघों के बिच बैठ कर अपनी लंड का सुपाडा बुर की गुलाबी छेद में रख कर दबाई तो गच ! के आवाज के साथ मम्मी का समुचा लंड अंदर चला गया । अब मम्मी धिरे धिरे संगीता देवी की बुर में लंड पेल रही थी और शोभ अपनी दोनों हाथों से मम्मी की बडी बडी चुचियों को मसलना शुरु कर दी ।
क्या नजारा था अंदर !
मम्मी और मनोज एक साथ शोभ की दोनों छेद में लंड पेल रहे थे । पूरे कमरे में गच! गच! की आवाज गुंज रही थी । मम्मी की इस चोदाई देख कर मैं जोरों से मुठ मारने लगा । अब दोनों ने तेज बढाते हुए संगीता को चोदे जा रहे थे । संगीता मम्मी की स्तन को चुसने लगी थी और मम्मी एक हाथ से अपनी भारी गांड को मसलती हुई जोर-जोर से उछालने लगी । तभी मम्मी अचानक दो तीन बार हवा में गांड उछालती हुई अपनी लंड को संगीता की बुर में जड तक पेल दी और संगीता के उपर लुढक कर झडने लगी । मम्मी की पूरी बदन कांप रही थी और व हांफ रही थी । अब मम्मी संगीता को चुमती हुई धिरे धिरे अपनी भारी चुतड संगीता की बुर में दबा रही थी । मम्मी ने सारा विर्य संगीता की बुर में उडेल दी थी ।
मनोज और संगीता ने भी झडने लगे थे । कुछ देर संगीता के उपर रहने के बाद मम्मी उठी और उसकी बुर से अपनी लंड बाहर निकाल ली । एक तौलिए से मम्मी अपनी लंड को साफ की । लंड साफ करने के बाद मम्मी उन दोनों के बगल में लेट गई । बडी देर तक चुदाई करने से तीनों थक चुके थे और अपनी अपनी जांघों को फैला कर आंख बन्द किए लेटे थे । मम्मी तिन बार अपनी वीर्य उड़ेल कर झड़ी थी । मनोज की लंड से मम्मी की लंड दो गुनी बड़ी थी, सिकुड़ने के बाद भी मम्मी की लंड काफी लम्बा और मोटा ही था ।
अभी तक मैं मुठ मार रहा था । मैंने तीनों को देख रहा था । मनोज और मम्मी की लंड सिकुड चुकी थी, पर कितनी अजीब बात थी !
दो औरतें नंगी थीँ, एक औरत की बुर थी और दुसरी औरत यानि मेरी मम्मी की एक बडा सा लंड थी । जहां मनोज का लंड 3 इंच का हो चुका था वहीं मम्मी का लंड 6 इंच का था और सुपाडा आधा बाहर था । पूरे तनाव में मम्मी की लंड 8 इंच का हो जाता था ।
ये सारी बात मन मेँ आते ही मैं तेजी से लंड मुठियाने लगा और
मेरा पिचकारी निकल गई । मैं लंड को वापस पैंट के अंदर डाल दिया और अंदर देखा ।
“एक बात बताओ तुम ।” संगीता मम्मी से पुछी ।
“पुछिए माँ! जी ।”
“तुम्हारी बुर रहते समय- बुर चटवाने मेँ या अब के लंड चुसवाने मेँ ज्यादा मजा आता है तुम्हेँ ! । संगीता ने पुछ बैठी ।
मैँ बडे ही उत्सुकता से मम्मी की जवाब का इंतजार किया ।
“सच पुछिए माँ! जी, मुझे बुर चटवाने से ज्यादा मजा अपनी लंड चुसवाने मेँ आता है । अब तो मेरा बदन बहुत गरम रहता है जिससे लंड मेँ जल्दी तनाव आ जाता है ।” मम्मी बोली ।
“अपनी बदन की गर्मी को ठंड कैसे करती हो !”
“लंड मेँ कंडोम लगा कर मुठ मार लेती हुँ । अकेली क्या करती । पहले बात और थी, अब मेरा बेटा मेरे साथ ही रहता है ।”
“अब जब कभी गरम महसुस होने लगे तो मुझे बुला लेना, मेरे रहने से तुम्हारे बेटे को शक भी नहीँ होगा ” ।
“बहुत अच्छी माँ! जी, मैँ जरुर आपको बुलाउंगी ।” मम्मी ने खुशी से बोल उठी ।
मम्मी बिस्तर से उठ गई थी और पेटीकोट पहनती हुई बोली –
“बहुत देर हो गई माँ जी ! अब मुझे चलना चाहिए, घर में मेरा बेटा इंतजार कर रहा होगा ।”
“ठिक है बेटी, फिर कब आओगी ?” संगीता देवी ने मम्मी से पुछी ।
“जल्द ही आने के लिए कोशिश करुंगी ।” मम्मी मुस्कराती हुई बोली ।
इतना सुनते ही मैंने जल्दी से बाहर निकल कर बाईक निकाली और तेजी से घर की और चल पडा । मुझे मम्मी से पहले घर पहुंचना था । 10 मिनट मेँ घर पहुंच गया और मम्मी की इंतजार करने लगा । अब मुझे मम्मी की सारी बातों का पता चल चुका था । दरअसल मैंने मम्मी को पहचान नहीं पाया था, वो तो बहुत ही मस्तानी निकली । पापा के रहते समय ही ऐसी जिंदगी जीने की कल्पना कर रही थी, जो इस विदेश की नौकरी ने उसे दिला दी थी । इसीलिए वो सबके मना करने के बाबजूद, विदेशों में नौकरी करने की जिद पर अड़ी रही । अब मम्मी की दोहरी जिंदगी मुझे बहुत उत्तेजित कर रहा था ।
एक घंटे बाद मम्मी पहुंची । अंदर आकर पुछी –
“बेटा खाना खा लिया तुमने ?”
“नहीं ।”
” मैं बाहर खा चुकी हुं, तुम खा लेना बेटा । मैं बहुत थक गई हुं । कल बात करेंगे ।” मम्मी बताई और अपने कमरे में चली गाई ।
जबसे मम्मी की राज सामने आया है मेरा तो हालत ही खराब हो गया था । मैँ हमेशा मम्मी की वासना का खेल देखने को आतुर था । इसी बीच एक दिन मम्मी ने भारत मेँ छुट्टीयां बिताने की इच्छा जाहीर करती हुई मेरे सामने प्रस्ताव रखा । मैँने तुरन्त हां भर दिया, क्योँकि मुझे भी अपने गांव घुम आने का बहुत मन कर रहा था । इसके पन्दाह दिन बाद मम्मी ने उसकी और मेरे दो फ्लाईट टिकट बुक कराई । आखिर व दिन आ पहुंच गया और हम दोनोँ फ्लाईट पकड कर दिल्ली आ गए और एक गाडी से हमारे गांव कटिहार पहुँचे ।
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