तांगेवाला मेरी अच्छे से मार रहा था और उधर ढाबेवाला भी कम नहीं था। मेरी उस रंगीन रात की hindi sex stori का ये आखिरी भाग है। मज़े से पढ़िए और सारा मुठ निकल दीजिये..
Hindi Sex Story के अन्य भाग-
पार्ट 1
पार्ट 2
पार्ट 3
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फिर मैं वहाँ से हट कर वापस स्टोव के पास जाकर खड़ी हो गयी। मैंने नोटिस किया कि उन लड़कों की नज़रें मेरा ही पीछा कर रही थीं। ऐसा लग रहा था कि ऊपर वाले ने उनकी खुशकिस्मती से अचानक जो ये हसीन मौका उन्हें बख्शा था उसका ये दोनों लड़के पूरी हद तक फायदा उठाना चाहते थे। अपनी हवस भरी नज़रों से दोनों मेरे खुबसूरत और हसीन जिस्म का मज़ा ले रहे थे। उनकी नज़रें खासतौर पे मेरे मम्मों और मेरी गाँड पे चिपकी हुई थीं। बगैर पेटिकोट के उस जालीदार लहंगे में से यकीनन मेरी टाँगें और मोटी गाँड उन्हें साफ नज़र आ रही थी।
उनमें से छोटा वाला फिर से बोला, “अरे भाभी जी… आपने चाय में चीनी तो बहुत थोड़ी डाली है… क्या चीनी और मिलेगी?”
मेरे खयाल से चाय में चीनी तो सही थी लेकिन किसी भी बहाने से वो दोनों मुझे अपने करीब बुलाना चाहते थे जिससे उन्हें मेरे मम्मों का बेहतर नज़ारा मिल सके। बहरहाल मैं फिर भी चीनी लेकर उनके करीब गयी उनकी चाय के गिलासों में चीनी डालने के लिये झुकी। जैसे ही मैं झुकी वैसे ही चुनरी मेरे कंधे से फिसल गयी और मेरा एक मम्मा उनकी हवस भरी नज़रों के सामने पूरा नंगा हो गया। मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं था और अचानक इस वाक़ये से मैं हैरान रह गयी लेकिन लड़कों के लिये तो अब बर्दाश्त से कुछ ज्यादा ही बाहर हो गया था। उन दोनों नेखड़े हो कर अचानक मुझे दोनों तरफ से दबोच लिया। बड़ा लड़का जो पहले मेरे मम्मों की तारीफ कर रहा था, वो इस मौके का फायदा उठाते हुए मेरे मम्मों को मसलते हुए मेरे निप्पल मरोड़ने लगा। मैंने बचाव के लिये दिखावा करते हुए चिल्लाने की कोशिश की लेकिन उन्होंने मेरा मुँह बंद कर दिया था और अपने अरमान पूरे करने लगे। मैं भी सिर्फ दिखावा ही कर रही थी क्योंकि हकीकत में तो मैं भी कहाँ उनकी गिरफ्त से छूटना चाहती थी।
छोटे लड़के ने अपनी पैंट की ज़िप खोल कर अपना लंड बाहर निकाल लिया और पीछे से मेरे चूतड़ों पर रगड़ने लगा। नेट के लहंगे के ऊपर से अपनी गाँड पे उसके लंड का एहसास बेहद मज़ेदार था। मेरे जिस्म में या यूँ कहूँ कि चूत में शोले भड़कने लगे। मैं नहीं जानती कि अंदर कमरे में से वो टाँगेवाला और ढाबेवाला ये नज़ारा देख रहे थे कि नहीं मगर मुझे ऐसा महसूस हो रहा था कि वो दोनों देख रहे हैं और ये खयाल मेरी मस्ती में और इज़ाफा कर रहा था कि मैं दो लड़कों के बीच जकड़ी हुई अपना जिस्म मसलवा रही हूँ और दो और मर्द मुझे ये सब करते देख रहे हैं। इस दौरान बड़े लड़के को मेरे मुँह से शराब की बदबू आ गयी और वो मेरे मम्मे मसलते हुए बोला, “वाह भाभी जी! आपने तो शराब पी रखी है… इसी लिये खुलकर जलवे दिखा रही थी।”
उन कमीने ज़ालिम लड़कों से अपना जिस्म मसलवाते, चूसवाते, चटवाते हुए मेरी चुदास इस क़दर उबाल मारने लगी कि अब बीच में वापसी मुमकिन नहीं थी। मैं सब भुला कर ज़ोर से कराहने लगी।
मेरी चुनरी एक तरफ ज़मीन पर पड़ी थी और लहंगा कमर तक उठा हुआ था। वो दोनों पूरी शिद्दत सेमेरे मम्मे और गाँड मसलने और चूमने में मसरूफ थे और उन दोनों के लौड़े मेरी चूत और चूतड़ों पर रगड़ रहे थे। तभी अंदर से हमें ढाबेवाले के ज़ोर से चिल्लाने की आवाज़ सुनायी दी, “अरे क्या तुम लोगों की चाय अभी तक पूरी नहीं हुई… क्या रात भर चाय ही पीते रहने का इरादा है… चलो जल्दी करो हमें भी सोना है!”ये सुनकर दोनों लड़के घबरा गये और बेहद बेमन से मेरे जिस्म से अलग हुए। उनके चेहरों से साफ ज़ाहिर था कि अगर थोड़ा वक्त उन्हें और मिलता तो यकीनन मुझे वहीं खड़े-खड़े चोद देते।
ज़रा सी देर में मेरा मज़ा दूसरी दफा किरकिरा रह गया। पहले जब ढाबेवाला मेरे जिस्म में आग भड़का रहा था तो ये दोनों नामकूल लड़के अचानक टपक पड़े थे और अब इन लड़कों के साथ जब मेरी मस्ती परवान चढ़ रही थी तो ढाबेवाले ने खलल डाल दिया। बहरहाल मैं भी उन लड़कों से बोली, “अरे तुम लोग भी अजीब हो… ज़रा सा मज़ाक क्या कर लिया तुम लोग तो मेरे मम्मों और गाँड के पीछे ही पड़ गये… अब जल्दी दफ़ा हो जाओ यहाँ से… मेरा आदमी बाहर आ गया तो वो तुम्हारी हड्डी-पसली एक कर देगा!” ये सुनकर दोनों वहाँ से जल्दी से खिसक गये लेकिन मेरे जिस्म से अलग होने से पहले दोनों अपने लौड़ों का पानी निकालने में ज़रूर कामयाब हो गये। मेरे पीछे खड़े छोटे लड़के ने पीछे से मेरे लहंगे पर अपने लंड की पिचकारी छोड़ी और दूसरे ने आगे से अपने लंड की तमाम क्रीम की फुहारें मेरे पैरों और सैंडलों पर छिड़की।
उन लड़कों के जाने के बाद मैं कमरे में दाखिल हुई तो टाँगेवाला और उसका दोस्त बेसब्री से मेरा इंतज़ार करते हुए देसी शराब के एक नये पव्वे से ठर्रा पी रहे थे। मैंने देखा कि उनके लंड बिल्कुल तन कर खड़े हुए थे जिससे साफ ज़ाहिर था कि बाहर उन लड़कों के साथ मुझे मज़े करते हुए ये दोनों देख रहे थे।मैंने देखा कि टाँगेवाला अपने तने हुए हलब्बी लंड पे कोई तेल लगा रहा था। जैसे ही उसने मुझे अंदर दाखिल होते देखा तो खुशामदीद करते हुए बोला, “आ मेरी शहरी राँड! तू तो इतनी बड़ी छिनाल निकली कि हमें भूल कर उन छोकरों के साथ ही चुदवाने को तैयार हो गयी… देख तेरी गाँड मारने के लिये मैं अपने लौड़े को तैयार कर रहा हूँ! आ जल्दी से मेरे इस प्यारे लौड़े को अपनी कसी हुई गाँड में लेकर अपना वादा पूरा कर मेरी जान!”
ढाबेवाला भी बोला, “और मेरा लंड भी देख कैसे तेरे मुँह में जाने के लिये तरस रहा है… देख कैसे इसके मुँह में से लार टपक रही है! साली कुत्तिया राँड… उन दोनों छोकरों के लौड़ों का रस निकालने से बाज़ नहीं आयी तू!” उसका इशारा मेरे लहंगे पे पीछे गाँड के ऊपर और मेरे पैरों और सैंडलों पे लगा उन लड़कों के लौड़ों के रस की तरफ था। मैंने देखा कि इन दोनों के लौड़े अब तक खतरनाक शक्ल इख्तियार कर चूके थे और ये दोनों अपने अज़ीम लौड़ों से जमकर मेरी चूत रौंद कर चोदने को तैयार थे।
उन्हें और उकसाने के लिये मैंने ठर्रे का आधा भरा पव्वा उठाया और होंठों से लगा कर गटागट सारी शराब पी गयी और फिर भर्रायी आवाज़ में बोली, “अरे मेरे दिलबरों… मादरचोदों… तुम्हारे लंड रेडी हैं तो देखो मेरी भी चूत तुम्हारे लंड खाने को कैसे मुँह खोले तैयार है… मैं भी पूरी मस्ती में हूँ… बोलो कैसे लोगे मेरी चूत और गाँड? एक साथ या बरी-बारी से!”
“साली कुत्तिया! अब तो जो भी करेंगे साथ-साथ ही करेंगे! तीनों मिलकर तिकड़ी-चुदाई करेंगे!” टाँगेवाला बोला।
मैं तो खुद बेहद शौक से उनकी ये बात मानने को रज़ामंद थी। इस वक्त देसी शराब का नशा भी परवान चढ़ चुका था और बेहद मखमूर और मस्ती के आलम में थी लेकिन पूरी तरह मदहोश या बेखबर भी नहीं हुई थी। मैंने अपना लहंगा और चुनरी उतार कर एक तरफ फेंक दिये और सिर्फ ऊँची पेंसिल हील के सैंडल पहने, अपने चूतड़ों पे हाथ रखे हुए नशे में झूमती हुई खड़ी हो गयी।
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