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read sex story ek ladki ke sex jeevan ki mahagatha part 3 4


सूरज भी नंगा था और दीप्ती भी बिलकुल नंगी थी. सूरज ने उसके बूब्स पर किस किया और उसकी निप्पलस चूसनी शुरू कर दी. और मैं अपनी निप्पलस अपनी उँगलियों से रगड़ रही थी. वो कुछ देर तक उसके दोनों स्तनों को चूसता रहा और फिर दीप्ती पींठ के बल पलंग पर लेट गयी. लेटकर उसने अपनी टाँगे फैला दीं. ‘देखो सूरज, मेरी चूत (इस बार वो वास्तव में चूत ही बोली थी) dekho …’. मैं भी उसके पूसी देख पा रही थी. उसने अपने सारे बाल साफ़ कर लिए थे और उसकी पूसी एकदम चिकनी थी. वो उसकी टांगों के बीच में बैठ गया और दीप्ती ने उसे कन्धों से पकड़कर अपनी पूसी की तरफ खींच लिया. वो अपनी पूसी चटवाना चाहती थी. ‘मेरी चूत को खोलो…’ उसने कहा, और सूरज ने अपनी उँगलियों से उसकी चूत के लिप्स को खोला, ‘क्या दीखता है…?’ दीप्ती ने पुछा. ‘गुलाबी गुलाबी…है सब कुछ..’ सूरज ने जवाब दिया, ‘और एक चने जैसा दाना तुम्हारी चूत के ऊपर शुरुआत में.’ ‘हाँ…वो मेरी क्लिटोरिस है…तुम अपनी जीभ से उसे और मेरे पूसी लिप्स को चाटो, मुझे अच्छा लगेगा.’ दीप्ती ने कहा. और सूरज ने उसकी चूत चाटना शुरू कर दिया. और इसी तरह वो करता रहा , मैं समझ सकती थी की दीप्ती को कितना अच्छा लग रहा होगा, क्योंकि वो उत्तेजना के कारण बार बार अपनी कमर हिला हिला कर अपना मजा बड़ा रही थी. ‘ओह येस…सूरज…चाटो, और चाटो…मेरी चूत गीली हो रही है..’, दीप्ती ऐसे चिल्ला रही थी और यह सुनकर सूरज अपनी स्पीड बड़ा रहा था. और फिर अचानक दीप्ती के हिप्स ऊपर नीचे तेजी से करने लगी और एक समय पर आकर उसकी टाँगे हवा में उठ गईं , शायद उसका ओर्गास्म हो गया था. उसकी कमर कांप रही थी और सूरज के होंठ गीले हो रखे थे. २ मिनट तक ऐसे ही लेटने के बाद दीप्ती उठी और उसके लिंग को अपने हाथ में लाकर हिलाने डुलने लगी. और फिर सूरज को लेटने के लिए बोला. सूरज के लेटने के बाद उसने उसके लिंग को हिलाना शुरू कर दिया और कुछ ही देर में वो फिर से खडा हो गया. फिर वो बोली, ‘सूरज, मैं तुम्हारे पर चड़ने वाली हूँ…तुम्हे मजा आएगा..देखना..’ अब मैं शायद कुछ नया देखने वाली थी. दीप्ती उठी और सूरज के ऊपर बैठ गयी. और अपने शारीर को उसके लिंग के ऊपर लाकर नीचे की और बैठने लगी. ‘सूरज, मेरी कमर पकड़ लो और अपने लंड को मेरी चूत में डालने की कोशिश करो…बहुत धीरे से करना..’. सूरज ने उसकी कमर को पकडा और अपने लिंग को उसकी योनी के मुह पर रखकर नीचे की और धकेलने लगा. जैसे जैसे सूरज उसे नीचे कर रहा था, दीप्ती का मुह खुलता जा रहा था..शायद उसे दर्द भी हो रहा था. फिर उसने सूरज को रुकने का इशारा किया. और कुछ सेकेंड्स रूककर फिर से उसने अपने को नीचे किया और सूरज का लिंग का उपरी हिस्सा उसकी पूसी में घुस गया था, और वो दोनों बार बार थोडा थोडा ऊपर नीचे करते हुए पूरा लिंग को अन्दर डालने में सफल हो गए. जब पूरा लिंग अन्दर चला गया तो दीप्ती ने उसे धीरे से कहा,’प्लीज सूरज…अब ऊपर नीचे करके मुझे चौदो..!’ और दीप्ती ने उसकी सवारी करनी शुरू करदी और सूरज ने नीचे से धक्के मारने शुरू कर दिया..अब दीप्ती के मुह से आह और ओउच निकालनी शुरू हो गयी थी…और वो भी इतनी जोर से की अगर मैं सो रही होती तो जरूर जग जाती, पर उन्हें कहाँ इस बात की परवाह थी…वो तो लगे हुए थे. दीप्ती ने उसको बोला, ‘मेरे बूब्स को मसलो ..इन्हें दवाओ…मेरी चुचुकों को भी मसलो…अच्छा लगता है..’ और सूरज ऐसा ही
करने लगा. और जैसे ही एक बार सूरज ने उसके बूब को अपने मुह में लिया और चूसना शुरू किया, वो एकदम से मचल उठी और उसका एक और ओर्गास्म हो गया क्योंकि उसके बाद वो कुछ पलों के लिए निढाल हो गयी. और जैसे ही सूरज ने फिर से धीरे धीरे धक्के लगाने शुरू किये, वो फिर से अपने शारीर को ऊपर नीचे करने लगी , और इधर सूरज ने अपने धक्कों की स्पीड बड़ा दी, शायद उसका भी निकलने ही वाला था.. और फिर दस बारह धक्कों के बाद सूरज ने अपने हिप्स पूरे ऊपर उठाकर अपना लिंग उसकी चूत की गहरायिओं में डाल दिया और फिर करीब पांच छ बार रुक रुक कर अपने लिंग को अन्दर बाहर किया और मुह से सिस्कारियों के साथ बोले जा रहा था…”ओह दीप्ती,..मेरा निकल गया.!’ और इसके बाद दोनों बेतहाशा एक दुसरे को चूमने लगे और फिर लेट गए साथ साथ. मैं बहुत उत्तेजित थी यह सब देख कर…पर मैं अपनी उत्तेजना कैसे शांत करती, पर भला हो भगवान् का , मैंने उसके नरम पड़ते लिंग को देखते हुए अपनी क्लिटोरिस को जोर जोर से रगडा और मेरे भी जूस निकल पड़ा और ओर्गास्म पर पहुँच गयी. करीब पंद्रह मिनट बाद दीप्ती अपने कपडे पहन कर वापस मेरे कमरे में आयी. और मेरे बगल में लेट गयी…फिर आधे घंटे तक कुछ नहीं हुआ..और शायद सूरज भी सो गया था…आखिर वो भी थक गया था. और सबसे कमाल की बात तब हुयी जब सुबह करीब चार बजे शुशु जाने के लिए मेरी आँख अचानक खुली और में उठी तो पाया की मेरे बगल में ही …..दीप्ती नीचे लेती हुयी थी नंगी….और सूरज उसके ऊपर नंगा ही चदा हुआ था और धक्के पर धक्के मारे जा रहा था…मेरे को उठता देख वो दोनों घबरा गए. दीप्ती ने उसे अपने ऊपर से हटाना चाहा पर शायद सूरज ejaculation के काफी करीब था सो वो चाहकर भी अपने लिंग को उसकी चूत में से नहीं निकाल पाया और में उन्हें ऐसे देखते हुए….सॉरी …आयी ऍम सॉरी ..मुझे पता नहीं था की तुम दोनों…मेरा मतलब..’. मेरे पास शब्द नहीं थे… और तभी अचानक या तो घबराहट में या शरमाहट में दीप्ती ने सूरज को अपने से दूर कर दिया और सूरज का लिंग धप की आवाज के साथ बाहर निकाल आया और उसी वक़्त उसके लिंग से वीर्य की पिचकारी निकली और उसके पेट पर फ़ैल गयी. मैं अवाक रह गयी..मेरे सामने एक १७ साल की लड़की थी जो की पूरी तरह से नंगी थी और उसके ऊपर एक बीस साल का लड़का नंगा होकर लेता था जिसने अपने हाथ में अपना उत्तेजित लिंग पकड़ रखा था और वो भी वीर्य की पिचकारियाँ छोड़ रहा था. सूरज मारे शर्म के वहां से नंगा ही भाग गया और दीप्ती परेशान से मुझे देखने लगी, उसे लगा की मैं अब उसे डांटने लगी हूँ..वो मासूम सा चेहरा बनाकर बोली…’ आयी ऍम सॉरी सौम्या..हम लोग अपना कण्ट्रोल खो गए थे और रुक न पाए..’ मैं हंसती हुयी बोली, ‘पागल, तो वहां उस कमरे में ही कर लेती न..अब बेचारे सूरज की क्या इज्जत रही, उसका सब कुछ तो मैंने भी देख लिया.’ ‘अब मैं क्या करती, मैं तो सो रही थी…और वो यहाँ आया और मुझे उत्तेजित कर दिया और यहीं चालू हो गया…और फिर तुम जग गयी.’ दीप्ती ने जवाब दिया और बात रूम में चली गयी. और में उसके आने के बाद बाथरूम गयी. वहां से लौटी तो दीप्ती और सूरज बातें कर रहे थे. वो शायद मेरे बारे में ही बात कर रहे थे. मैं वापस आकर लेट गयी और सोने की कोशिश करने लगी. जब सुबह सात बजे उठी तो पता लगा की सूरज तो सुबह छ बजे ही पीछे वाले दरवाजे से चला गया था. और फिर हम लोग सुबह वाली घटना पर खूब हँसे. उसके बाद मैंने दीप्ती को पकड़ लिया और उससे डिटेल में सब कुछ पूछा. जबकि मुझे सब पता था फिर भी मैं उसे शक नहीं होने देना चाहती थी की रात को में उन दोनों को सेक्स करते हुए देख चुकी थी.

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