उस दिन ज्योति को पूरा शक हो गया था की मेरे ओर पवन के बीच में कुछ तो हुआ है..उसने अपनी पूछताछ जारी रखी ओर आखिर वो ही जीती, मुझे उसे सब कुछ बताना पड़ा. ओर जब बात आयी उस सफ़ेद से द्रव्य की जो उसके लिंग से निकला था तो उसने बताया की उसे वीर्य कहते हैं ओर लिंग को योनी में डाला जाता है ओर फिर वीर्य अन्दर निकल जाता है तो बाद में बच्चे होते हैं…
में आश्चर्यकित थी…उसने बताया की उसने भैया ओर भाभी को सेक्स करते हुए देखा है…! बस उसने मेरी ज्ञान की प्यास ओर बड़ा दी. तब वो बोली, जब मौका मिला तो वो मुझे भी देखने के लिए बुला लेगी.
करीब ढेड साल बाद वो मौका आया….. मैं करीब १६ साल की हो गयी थी ओर मेरा योवन पहले से भी ज्यादा निखर गया था. ज्योति के भैया मर्चेंट नेवी में थे ओर एक साल के बाद लौटे थे. ज्योति को पूरा विश्वास था की अब उनकी सेक्स लाइफ फिर से चल पड़ेगी. सो उसने एक दिन फिर से मुझे अपने घर बुला लिया. उसका ओर उसके भैया का कमरा अगल बगल में था. बीच में एक छोटी से संध थी जहाँ से दीवार का प्लास्टर उखड गया था ओर वहां ज्योति ने छेद कर रखे थे. जिसमे से वो समय समय पर उनके कमरे में झांकती आयी थी.
हम लोग ज्योति के कमरे में पढ़ रहे थे (या पढने का नाटक कर रहे थे), रात को करीब १० बजे उनके कमरे के दरवाजे बंद हो गए तो हम समझ गए की वो लोग कमरे में आ चुके हैं. हम लोग छेदों के रास्ते उनके कमरे में झाँकने लगे, मेरे स्तन ओर उनके निप्पलस पहले से ही उतेजना में थे. रवि (ज्योति का भाई) ने स्वाति (भाभी) को किस किया , दोनों खड़े हुए थे ओर एक दुसरे को बाहों में भर रखा था. भाभी ने पता नहीं क्या इशारा किया रवि को, रवि ने उसे गोद में उठाया ओर पलंग पर लिटा दिया. मुह पर चुम्बन करते हुए रवि के हाथ स्वाति के स्तनों पर चलने लगे. ओर स्वाति के हाथ रवि भैया की जाँघों के बीच उनके लिंग को टटोलने लगे. ओर हमारे देखते देखते दोनों ने अपने सारे कपडे उतार डाले. स्वाति नंगी होकर बड़ी सेक्सी लग रही थी. वो वास्तव मैं बहुत कामुक लग रही थी . उसके गोल गोल स्तन हम दोनों से तो बहुत बड़े थे ओर भैया के हाथो में पूरे भी नहीं आ रहे थे. उनके नितम्ब भी चौडे थे. जांघें भी चिकनी ओर सुडोल थी. उनकी पूसी पर बाल भी थे ओर भैया की उंगलियाँ उनको सुलझाने में लगी थी.
सबसे ज्यादा ताज्जुब जब हुआ जब ज्योति के भाई हमारी वाली दीवार की ओर थोडा मुदे तो मेने एक पुरुष का पूर्ण उत्तेजित लिंग देखा. करीब ७ इंच लम्बा ओर ३ इंच गोलाई वाला…एकदम खडा हुआ… मेरी पूसी तर हो गयी थी ओर ज्योति के हाथ मेरे हिप्स पर चल रहे थे ओर में अपने निप्पलस को दबा रही थी.
स्वाति ने भैया का लिंग अपने हाथ में लिया ओर सहलाने लगी, ऐसे में भैया ने भाभी के कान में कुछ कहा ओर पलंग पर लेट गए. उनका लिंग तना हुआ था. स्वाति बैठ गयी ओर लिंग की खाल पीछे की ओर की ओर लिंग के मुंड को अपने मुह में दबा लिया….
उफ़. एक ओर रहस्य खुल गया मेरी जिन्दगी की किताब में, में चौंकी ओर ज्योति से बोली, ‘यह भाभी क्या कर रही हैं? तुमने तो कहा था की लिंग योनी में डाला जाता है, पर भाभी तो मुह में ले रही हैं..?’. वो हस्ते हुए बोली, ‘पागल, वो बस मुह से मजे दे रही है… तू देख तो सही..’
स्वाति भाभी पूरे मजे से उनके लिंग को चूस रही थीं. ऊपर से नीचे तक. ओर हर बार भैया अपने हिप्स ऊपर उठाकर ऐसा करते थे जैसे की पूरा लिंग उनके मुह में अन्दर तक डालना चाह रहे हों. स्वाति भाभी ने अपने सर को उअप्र नीचे करते हुए भैया का लिंग अपने मुह से अन्दर बाहर करने लगीं.
कुछ देर बाद भाभी लेट गईं ओर उनकी चौडी की गयी झांघों के बीच भैया आ गए. भाभी ने थोडी सी अपनी झांघे उठाई तो मुझे उनकी भी पूसी दिखाई दी, एकदम गीली ओर सुन्दर. भैया ने एक हाथ में अपना लिंग पकडा ओर उनकी पूसी पर रगड़ने लगे. भाभी के भी कुल्हे हिलने लगे, ओर १-२ मिनट तक यही चलता रहा, भैया ओर भाभी के कुल्हे एक धुन में चल रहे थे, ओर शायद भाभी से जब रहा नहीं गया तो उन्होंने एक हाथ से भैया का लिंग पकडा ओर अपनी पूसी की ओर खींचा.उन्होंने लिंग के मुंड को अपनी योनी के द्वार पर रखा ओर भैया ने एक झटका सा दिया ओर उनकी गहरायी में चले गए. मुझे लगा की यह क्या हुआ, एक बॉय का लिंग लड़की की पूसी में अन्दर चला गया…wow..!!
भाभी ने अपनी टांगों से भैया के कुलहो को जकड लिया था. उनके कुल्हे आगे पीछे होने लगे जिससे लिंग अन्दर जाता ओर फिर बाहर आ जाता. भैया धक्के नहीं लगा रहे थे सो भाभी ने उनके हिप्स पर अपने हाथ रखे ओर अपनी सहूलियत से ढकी लगवाने लगी. तब भैया ने दस बारह झटके देते हुए अन्दर बाहर करना शुरू किया..
इधर ज्योति ने अपनी पैंटी भी उतार ली थी ओर बुरी तरह हस्तमैथुन कर रही थी जबकि मैं सिर्फ भैया ओर भाभी के क्रिया कलापों पर व्यस्त थी हाँ मेरे हाथ जरूर मेरे स्तन ओर मेरी पूसी पर व्यस्त थे.
भैया ने भी अब धक्के लगाने शुरू कर दिया थे ओर ज्योति बोलती थी की इसे चौदना कहता हैं ओर भाभी इस समय भैया से चुद रही हैं. भैया कभी कभी अपना पूरा लिंग बाहर निकाल लेते थे ओर फिर अन्दर डालते थे, इस दौरान मुझे उनके लिंग पर भाभी का जूस ओर भाभी की गुलाबी योनी, सब दिख रहा था. साथ ही जब भैया का गीला लिंग उनकी गीली योनी में फिर से घुसता था तो धप धप की आवाज भी आ रही थी. भाभी की योनी ओर भैया का लिंग योवन रस से तर बतर हो चुके थे.
धीरे धीरे धक्के की रफ़्तार बढ गयी थी ओर फिर वो जैसे एक दुसरे से लड़ रहे हों ऐसे धक्के लगाने लगे, एक नीचे की ओर धक्का लगता तो दूसरा ऊपर की ओर, ओर फिर पता नहीं क्या हुआ, दोनों शांत हो गए, भाभी की टाँगे ऊपर की ओर उठी ओर कांपने लगीं. ओर उनके कुल्हे हिल रहे थे जैसे की कुछ ओर मांग रहे हों.
कुछ देर बाद भैया उठे तो मेने देखा की उनका लिंग एकदम नरम सा हो गया है ओर बस तीन चार इंच का जो लग रहा था. मेरे लिए यह सब आश्चर्य कर देने वाला था.
अपनी जिन्दगी का सबसे पहला रियल सेक्स देखते देखते मैं इतनी गीली हो गयी थी की मेरी जाँघों तक गीलापन महसूस कर पा रही थी. जैसे ही रवि भैया और स्वाति भाभी एक दुसरे को बाहों में लेकर लेते, हम लोगों ने छेड़ से देखना बंद करके अपनी अपनी पूसी की और देखा, ज्योति तो अपने पूसी लिप्स को मसले जा रही थी और मेरी पूसी मारे उत्तेजना के सूज सी गयी थी. पहली बार उसमे इतना रक्त संचार हुआ था की क्या बताऊँ?
अब बारी थी एक दुसरे को शांत करने की. मैंने ज्योति की हथेलियाँ लीं और अपने बूब्स पर रख दी, और मैंने अपने हाथ उसके बूब्स पर रख दिए. हम एक दुसरे के स्तनों को दवाने लगे , मसलने लगे. मैंने उसके एक निप्पल को धीरे से अपने लिप्स से किस किया और उत्तेजना वश उसे मुह में लेके चूसने लगी. मेने उसे धक्का मार कर पीछे की और लिटा दिया और मेरी जीभ सीधे उसकी क्लिटोरिस पर पहुँच गयी, और जैसे जैसे में उसकी क्लिटोरिस को अपनी जीभ से छूती तो वो सिहर जाती और अपनी कमर को और ऊपर उठा देती. वो बहुत देर से उत्तेजित थी इसलिय ज्यादा रुक ना पाई और अपने मुह पर हाथ रख लिया क्योंकि वो ओर्गास्म पर पहुँच गयी थी और उसके मुह से आवाज निकल सकती थी.
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