हेलो दोस्तों, मैं आपके सामने एक ऐसी desi kahani पेश करने जा रही हूँ, जिसने मेरी आती हुई जवानी को एक अलग ही दुनिया दिखा दी थी. जी हाँ, ये hindi sex stoy मैंने नहीं लिखी है बल्कि मैंने ये hindi sex stories इन्टरनेट पे ही सालो पहले पढ़ी थी. इसने मुझ को इतना प्रभावित किया कि मैंने ये desi kahani सेव करके रख ली थी. जिसने भी से Hindi Sexy Kahani लिखी है, सारा क्रेडिट उसी को मिलना चाहिए.. मैं तो बस चाहती हूँ कि ऐसी अनमोल desi kahaniya सबको पढने को मिलें. अब मैं कहानी पर आती हूँ.. शुरुआत indian lesbian stories से होती है..
कहानी के अन्य भाग–
पार्ट 1
पार्ट 2
मैं सौम्या हूँ.. मेरा उद्देश्य सिर्फ मेरी जिंदगी के उन पलों का सामने लाना हैं जो लगभग हर लड़की की जिंदगी में आतें हैं पर वो उन्हें छुपा लेती हैं. पर में वो सब आप सभी के साथ बांटना चाहती हूँ, वो भी इसलिए कि जिस से आप लोग एक लड़की कि निजता कि बारें में जानने कि जिन कोशिशों में लगे रहते हैं उसका काफी कुछ सच में सामने ला देती हूँ. यहाँ लिखा सब कुछ एकदम सत्य है और कुछ भी कहीं से जोड़ा या मरोड़ा नहीं गया है.
चलिए शुरू करते हैं जब से जबकि मेरी योवनावस्था शुरू ही हुयी थी. और मेरा पहला सेक्सुअल अनुभव हुआ, और नेचुरली यह लेस्बियन ही था, क्योंकि अधिकतर लड़कयों के सेक्स अनुभव कि शुरुआत लेस्बियन अनुभवों से ही होती है, वैसे भी अधिकतर लड़कियों कि इतनी हिम्मत भी नहीं होती कि वो लड़के के साथ सेक्स करके अपने अनुभव कि शुरुआत कर सके. जब में १३ साल कि हुयी तभी से में लड़कों कि नजर में आने लगी थी. वजह मेरा लम्बा कद, आकर्षक शारीर और गोरा रंग था शायद. १२ साल कि उम्र में ही में सेक्सुअल रिलेशन के बारें में जान ने लगी थी. और मेरा ज्ञान का भण्डार थी मेरी कसिन बहिन ज्योति. वो भगवन को बहुत मानती थी. पर उसके बड़े भाई कि शादी जब हुयी तो उसकी भाभी आयी और वो बहुत ही ज्यादा सेक्सी और ज्यादा एक्टिव थी. वो जितनी ज्यादा सेक्सी और सुन्दर थीं उतनी ही करक्टेरलेस भी थी.
उनके शादी से पहले भी लड़कों से रिलेशन थे, और वो अभी उनसे सेक्स कर रही थी. उनकी सेक्सुअल जरूरते शायद एक आदमी से पूरी नहीं हो सकती थी. और इन सेक्सुअल एड्वेंचरों के लिए उन्हें ज्योति कि मदद कि जरुरत थी जिससे कि मुश्किल के समय में वो उन्हें बचा सके. और मेरी सिस्टर ज्योति बेचारी फंसी हुयी थी उनके साथ. स्वाति भाभी ने सारा सेक्स ज्ञान उसे दे दिया और वो भी १२ १३ साल कि उम्र में. ज्योति भी मेरी ही उम्र के बराबर थी और इस तरह कि सेक्सी बातों में भाभी के साथ उसे मजा आने लगा. हम लोग जिस फॅमिली से थे जहाँ काफी साड़ी बंदिशे थी और इस वजह से जब ज्योति को यह सब पता चला तो वो सोचने लगी कि जैसे कोई खजाना उसके हाथ लग गया हो.
उसकी भाभी ने साड़ी हदें पार करदी और ज्योति के साथ लेस्बियन सेक्स भी शुरू करदिया.पर ज्योति मेरी बहुत अच्छी सहेली थी तो वो मुझे सारी बातें जरूर बताती थी. शुरू शुरू में , मैं चुपचाप ही रहती थी, और ज्योति ही बोलती थी. हम लोग सेक्स, और लड़कों के बारें में बातें करने लगे. वो घर के पास ही रहती थी सो हम लोग डेली ही मिलते थे. और हमारी बातें सेक्स के बारें ज्यादा होने लगी. हम लोग सेक्स करने के बारें में बहुत व्याकुल होते जा रहे थे.
पर उस छोटी से उम्र में न तो हम कोई पॉर्न साईट देख पाते थे और न ही कोई सेक्सुअल जानकारी थी. और न ही हम हस्तमैथुन के बारें में जानते थे. और यह सब हमें चिडचिडा बनता जा रहा था. क्योंकि सेक्सुअल बातें करने के बाद हमारी पूसी गीली हो जाती थीं और उस बारें में कुछ भी नहीं जानते थी. हम नहीं जानते थी कि हम हमारी सेक्सुअल फ्रस्ट्रेशन , टेंशन और देस्प्रशन कैसे निकालें?
और तो और ज्योति की भाभी न सिर्फ उसे हस्तमैथुन के बारें में बताती थी बल्कि उसे करवाती भी थी. और यही उसके लेस्बियन संबंधों की शुरुआत थी, साथ ही उसके सेक्सुअल फ्रस्ट्रेशन की भी, क्योंकि अब जब भी वो सेक्सुअली उत्तेजित होती थी तो वो ऊँगली से हस्तमैथुन कर लेती थी. और जब वो मेरे से मिली, तो हस्तमैथुन के बारें में उसने मुझे बताया और वो सारी बातें मुझे बताना चाहती थी. उसने ओर्गास्म के बारे में जब बताया तो मुझे सच में कुछ समझ भी न आया. उसने बोला भी की लाओ में तुम्हारी पूसी पर करके दिखा देती हूँ. पर में शर्माने के कारण इतना साहस भी न कर पायी. मेने कभी कपडे तक नहीं बदले थे किसी के सामने , और तो और जब में १० साल की हुयी थी तब मम्मी से भी नहाना बंद कर दिया था और खुद ही नहाती थी. और जहाँ तक ज्योति का ऑफर था, उसे मेरी जाँघों के बीच नंगी पूसी दिखाने का, बड़ा ही अजीब था मेरे लिए.
पर जब इस सब के बारें में बातिएँ करने लगे तो वो मेरे में इंटरेस्ट भी लेने लगी. वो बहुत उत्तेजित रहती थी और मेरे साथ लेस्बियन वाला अनुभव बांटना चाहती थी. और उसने मुझे इतना राजी कर लिया की मेने उसे मेरे शरीर पर हाथ फेरने की इजाजत दे दी.
यह वो समय था जब हमारे स्तन बदने लगे थे. और हमारी पूसी पर हलके हलके बाल भी आने लगे थे. और क्योंकि हम एक अच्छे परिवार से थे तो खाने पीने की कोई कमी नहीं थी, और अच्छे खाने पीने के कारण शरीर का भी अच्छा विकास हो रहा था.
और इसका सीधा सा मतलब यही था की हमारे स्तन हमारी उम्र की और लड़कियों की तुलना में थोड़े ज्यादा ही थे. और क्योंकि निप्पलस भी अब बाहर की उभरने लगी थी तो हम लोगो ने ब्रा पहननी शुरू कर दी थी. अब में भी ज्योति की प्रति थोडी आकर्षित होने लगी थी. मैं हर समय यही सब सोचती रहती थी.
जब एक बार ज्योति एक हफ्ते के लिए शहर से बाहर गयी तो में बेसब्र हो गयी. मेरा मन पढाई में भी नहीं लग रहा था. और फिर एक दिन ज्योति मेरे घर आयी और पड़ने के बहाने मेरे घर भी रुकने का प्रोग्राम बना लिया. घर नजदीक होने के कारण ऐसी कोई दिक्कत भी नहीं थी…अमूमन हम लोग एक दूसरे के घर में रुकते भी रहते थे. रात को हम लोगो ने अपनी वही बातचीत शुरू की. और जब घर के सभी लोग सो गए, तो हमने अपने कमरे को अन्दर से बंद कर लिया. शुरू में हम थोडी असहजता महसूस कर रहे थे. वो भी नहीं जानती थी की क्या कहना है और मैं भी नहीं की क्या करना है? फिर भी किसी तरह शुरुआत हुयी और जब मेने कहा की मैं वास्तव में जानना चाहती हूँ इस बारे में, तो उसकी भी आँखें फैल गयी.
उसने मुझे ओर्गास्म के बारें में बताया और कहा की यह सबसे अच्छी अनुभूति होती है जोकि उसने अनुभव की. मैं क्योंकि बिलकुल भी नहीं जानती थी इस बारें में तो मेरा दिमाग बिलकुल खाली था ओर्गास्म के बारें में, बल्कि में ओर्गास्म की उस अनुभूति का इमेजिन भी नहीं कर पायी उस समय. मैं तो उस समय बस यह जानना चाहती थी की सेक्सुअल फ्रस्ट्रेशन को कैसे दूर किया जाता है. क्योंकि यह मेरी जिंदगी का हिस्सा बनता जा रहा था क्योंकि जब भी सेक्स के बारें में बात होती या, टीवी पर सेक्सुअल सीन देखती या कुछ बात सुनती तो मेरी पूसी गीली हो जाती थी. और उसमे खून का संचार इतना बाद जाता था कि थोडा सा कडापन महसूस होता था. हाथ लगाने का मन भी करता था पर उससे भी कुछ नहीं होता था. मैं जानती थी कि कुछ चाहिए पर क्या? यह पता नहीं था. इसलिए जब मुझे पता लगा ज्योति से कि ओर्गास्म पाने के बाद वो सेक्सुअल फ्रस्ट्रेशन से दूर हो गयी तो मैं भी उस बारे में जानने कि लिए इच्छुक थी.
Keyword: ,
,
,
,
,
,
,