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“मुझे भी ऐसा जी लगता है” जब प्रतीक और वंदना नंगे बदन वापस हरीश और आरती के वापस आये, आरती फर्श पर फैले कालीन पर पूरी तरह से नंगी लेटी हुई थी. उसने अपने पैर पूरी तरह से फैला रखे थे. हरीश उसकी दोनों लम्बी और सुन्दर टांगों के बीच में बैठा उसकी चूत को अपने मोटे लंड से धीरे धीरे धक्के लगाता हुआ छोड़ रहा था. दोनों काफी आवाजें निकाल रहे थे. वंदना ने हरीश को दूसरी औरत को चोदते हुए कभी नहीं देखा था. ये नज़ारा देख कर उसके बदन में जैसे ऊपर से नीचे तक चीटियाँ रेंग गयीं और उसकी चूत फिर से चुदाई के लिए बिलकुल तैयार हो गयी.
प्रतीक को तो बस इशारा ही काफी था. उसने खड़े खड़े ही पीछे से अपना लंड वंदना की बुर में डाल दिया और उसे तब तक चोदा जब तक दोनों झड नहीं गए. सबने बाद में बैठ कर बड़े ही आराम से डिनर खाया. खाने की टेबल पर बैठ कर उन्होंने खूब सारी बातें की. ध्यान देने वाली बात ये थी की सारी की सारी बातें सेक्स से ही सम्बंधित थीं और चारों लोग डिनर टेबल पर पूरी तरह से नंगे बैठ कर खाना खा रहे थे. खाना ख़तम कर के जब वे वापस उस कमरे में लौटे तो आरती वंदना के साथ चल रही थी. आरती ने वंदना की नंगी कमर को अपने हाथो में भर कर पूछा,
“तुमने कभी किसी औरत के साथ सेक्स किया है वंदना?” “अभी तक तो नहीं … पर ऐसा लगता है की आज इस चीज पर भी हाथ साफ कर ही डालूँ..पर मुझे पता नहीं है की कैसे करते हैं…” “अरे कभी न कभी तो जब आदमी के साथ किया होगा तो पहली बार ही हुआ होगा न? करना चालू करो तो बाकी सब अपने आप हो जाएगा..देखो, पहले मैं तुमारी बुर चाटना शुरू करती हूँ…उसके बाद तुम जैसा मैं तुम्हारे साथ करू वो तुम्हें अगर तुम्हें ठीक लगे तो मेरे साथ करते जाना.. बस मजा आना चाहिए..” हरीश और प्रतीक दोनों लोग अपने हाथ में स्कॉच का जाम ले कर बैठ गए. ऐसा लग रहा था की जैसे लड़के लोग नाईट क्लब में बैठ कर दारू पीते हुए कोई शो देख रहे हों. आरती ने वंदना को सोफे के इनारे पर बिठा कर लिटा दिया और अपने तजुर्बेकार मुंह से वंदना की बुर को चाटने लगी. आरती की जीभ वंदना की बुर के बाहर की खल के ऊपर थिरकती और दुसरे ही पल वह उसके बुर के दाने को चाट लेती, अगले पल वह वंदना की बुर के छेद में अपनी जीभ घुसेड कर जैसे उसे थोडा सा अपनी जीभ से छोड़ सा देती थी. वंदना उन्माद में सिस्कारिया भर रही थी. आरती धीरे धीरे बुर के दोनों तरफ की खाल चाट रही थी और उसने अपने एक उंगली वंदना की बुर में डाल राखी थी और दूसरी उंगली उसके गांड में. वंदना के लिए यह अनुभव एकदम नया था और वो इसे जी भर के मजे ले कर ले रही थी. वंदना अपना बदन एक नागिन की तरह उन्माद में घुमा रही थी. वो उन्माद में चीख रही थी. इतना आनंद उसके बाद के बाहर हो गया और एक चीत्कार के साथ ही उसने आरती की जीभ पर अपनी बुर का रस उड़ेल दिया. वंदना का बदन शिथिल पद गया. वह आरती के कन्धों पर अपने पर डाले हुए सोफे पर टाँगे फैला कर नंगे पडी हुई थी. पढने के लिए My पर आते रहिये.. Hindi Sex Stories के अन्य भाग- पार्ट 1 पार्ट 2 पार्ट 3 पार्ट 4

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