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दोस्तों, ये Hindi Sexy Kahani इस कहानी का दूसरा और आखिरी भाग है| कृपया पूरा मज़ा लेने के लिए पहले पढ़ लेवें| उसका लिंक में नीचे दे रहा हूँ| मेरी hindi sexy kahaniya पढने के लिए धन्यवाद्.. गाड़ी करीब आधे घंटे बाद आई। तब तक निशा मेरे कंधे पर सर रखे बैठी रही। अर्पिता चुपचाप बैठी निशा की तरफ देखती रही। मैं थोड़ा हैरान था कि निशा कैसे अपनी बहन के सामने ही एक पराये मर्द के साथ लिपट कर बैठी हुई थी.. अब आगे– जब हम रोहित के घर पहुँचे तो सुबह के लगभग साढ़े पाँच बज चुके थे और घर के बहुत से लोग जाग चुके थे। रोहित अभी सो रहा था। वो काम के कारण रात को देर से सोया था। मैंने उसको जाकर उठाया तो वो खुश हो गया और फिर मैं भी वही उसके बेड पर लेट गया और सारी रात की नींद से थकी आँखें कब बंद हो गई पता ही नहीं चला। जब उठा तो दोपहर का करीब एक बज रहा था। मुझे किसी ने पकड़ कर हिलाया तो मेरी नींद खुली और आँख खोलते ही सामने मेरी नई महबूबा निशा खड़ी थी। “उठो मेरे राजा जी… शादी में आये हो या नींद पूरी करने…?” कहकर वो हंस पड़ी। मैं हड़बड़ा कर उठा तो देखा कि कमरे में निशा और मैं ही थे। मैं उठ खड़ा हुआ और एक ही झटके में निशा को अपनी बाहों में लेकर उसके होंठों पर एक जोरदार किस कर दिया। निशा मुझ से छुड़वा कर अलग हो गई- तुम पागल हो क्या…? यह शादी वाला घर है मिस्टर…! मैंने उसको एक फ़्लाइंग किस किया और फिर बाथरूम में घुस गया। बाथरूम का दरवाजा बंद करते हुए मैंने देखा निशा वहीं खड़ी मुस्कुरा रही थी। उसके बाद शादी की रस्में शुरू हो गई और फिर निशा और मैं अकेले नहीं मिल पाए। निशा मेरे आसपास ही मंडरा रही थी और जब वो आँखों से ओझल होती तो मैं भी उसको ढूंढने के लिए बेचैन हो उठता। ऐसे ही सारा दिन निकल गया। हम दोनों शादी की भीड़ में भी एक दूसरे में खोये हुए थे। मैं तो मौके की तलाश में था कि कब मुझे मौका मिले और मैं निशा के मस्त बदन का मज़ा ले सकूँ। निशा को चोदने के लिए मेरा लण्ड बेकरार था। रात को बारात थी। प्रोग्राम रोहित के घर से कुछ ही दूरी पर एक मैरिज-पैलेस में था। शाम को करीब सात बजे सब सजधज कर नाचते कूदते घर से निकले। मैं भी मस्ती में था। पंजाबी शादी में शराब-कवाब की कोई कमी नहीं होती। मैंने भी दो-तीन पैग चढ़ा लिए थे और मैं भी पूरी मस्ती में नाच रहा था और अपने दोस्त की शादी को एन्जॉय कर रहा था। निशा भी दूसरी औरतों के साथ अलग नाच रही थी। भीड़ में मेरी नजर निशा पर ही टिकी हुई थी। बारात कुछ आगे बढ़ी तो आदमी और औरतें सब एक साथ नाचने लगे। बस इसी बीच मुझे भी मौका मिल गया अपनी नई महबूबा संग नाचने का। निशा और मैं दोनों एक दूसरे का हाथ हाथ में लेकर नाचने लगे। “निशा… इस ड्रेस में तो क़यामत लग रही हो।” “तुम भी बहुत हेंडसम लग रहे हो… देखो तो शादी में कितनी लड़कियों की नजर सिर्फ तुम पर ही है।” कहकर वो खिलखिला कर हंस पड़ी। बारात अपने निर्धारित स्थान पर पहुँच गई थी। फिर गेट पर रिबन का प्रोग्राम हुआ और सबने खूब मस्ती की। अंदर जाकर डी.जे. पर खूब मस्ती हुई। खूब दिल खोल कर नाचे और पैसे लुटाए। थक हार कर फिर खाना खाने लगे। रोहित फेरे लेने के लिए चला गया और मैं निशा संग खाना खाने चला गया। “निशा… तुम्हें चूमने का बहुत दिल कर रहा है… प्लीज एक किस दो ना..!” “तुम पागल हो… सब लोगों के बीच में किस…? मिस्टर होश करो…” तभी मुझे याद आया कि रोहित की गाड़ी की चाबी मेरे पास है। मैंने निशा को बाहर गेट पर आने को कहा और खुद गाड़ी निकालने चल पड़ा। जब पार्किंग से गाड़ी निकल कर बाहर आया तो देखा निशा गेट पर ही खड़ी थी। मैंने उसको गाड़ी में बुलाया तो वो आकर बैठ गई और मैंने भी गाड़ी सड़क पर दौड़ा दी। “करण… सब लोग क्या सोचेंगे यार… अगर किसी को पता लग गया तो कि मैं तुम्हारे साथ ऐसे अकेली गाड़ी में घूम रही हूँ तो…?” “निशा, यह रात फिर नहीं मिलेगी मेरी जान… बस अब कुछ ना कहो !” “पर हम जा कहाँ रहे हैं?” “देखते हैं कोई तो जगह मिल ही जायेगी दो दीवानों को प्यार करने के लिए !” मैं गाड़ी हाइवे पर ले आया और सामने ही मुझे एक गेस्ट हाउस नजर आया। रात के दो बज रहे थे। मैंने गाड़ी रोकी तो चौकीदार दौड़ कर आया। मैंने उसको पचास का नोट दिया और कमरे के बारे में पूछा तो उसने अंदर आने को कहा। अंदर जाकर बोला- सर… कमरा तो कोई खाली नहीं है। “तो साले तूने बाहर क्यों नहीं बताया…?” “सर वो ऐसा है कि एक कमरा है तो पर वो गेस्ट हाउस के मालिक का है… अगर आप लोग सुबह पाँच बजे से पहले खाली कर दो तो वो कमरा मैं आप लोगो के लिए खोल सकता हूँ पर पाँच सौ रुपये लगेंगे।” मैंने बिना देर किये गाँधी छाप पाँच सौ का नोट निकल कर उसके हाथ पर रखा और उसने बिना देर किये कमरा खोल दिया। निशा चुपचाप यह सब देख रही थी पर बोल कुछ नहीं रही थी। कमरा शानदार था। आखिर गेस्ट हाउस के मालिक का था। बिल्कुल साफ़ सुथरा। एक साइड में सोफा और मेज लगी थी और दूसरी साइड में एक बड़े वाला सिंगल बेड था। पर हमें कौन सा यहाँ सोना था। चौकीदार के जाते ही मैंने दरवाजा अंदर से बंद किया और पकड़ कर निशा को अपनी बाहों में भर लिया। “बहुत बेताब हो मुझे चोदने के लिए…?” निशा के मुख से यह ‘चोदना’ शब्द सुन एक पल को तो मैं हैरान रह गया लेकिन मैं बोला- मेरी जान कल रात से तड़प रहा हूँ तुम्हें पाने के लिए… अब तो बेताबी की हद हो गई है। मैंने निशा को अपनी बाहों में उठाया और बेड पर लेटा दिया। उसने मुझे दो मिनट रुकने के लिए कहा और फिर अपनी सारी ज्वेलरी आदि उतार कर एक तरफ रख दी और फिर खुद ही आकर मेरी गोद में बैठ गई। मैं अब और इंतज़ार नहीं कर सकता था। मैंने बिना देर किये अपने होंठ निशा के होंठों पर रख दिए और मेरे हाथ सीधा निशा की मस्त चूचियों को दबाने लगे थे। निशा भी जैसे प्यार के लिए तड़प रही थी। वो भी पूरी मस्ती में मेरे किस का जवाब दे रही थी। करीब पाँच मिनट तक किस करने के बाद मेरे हाथ निशा के बदन से कपड़े कम करने में व्यस्त हो गए। निशा ने लहँगा-चोली पहना हुआ था। मैंने पहले उसकी चोली की डोर ढीली करके उसे उसके बदन से अलग किया। ब्रा में कसी उसकी बड़ी बड़ी चूचियाँ हिमालय को भी नीचा दिखा रही थी। मैं निशा की चूचियों पर टूट पड़ा और मस्त होकर उसकी चूचियों को उसकी ब्रा के ऊपर से ही चूमने चाटने लगा। निशा की सिसकारियाँ कमरे में गूँजने लगी थी। तभी मैंने पीछे हाथ ले जाकर ब्रा का हुक खोल दिया तो दोनों बड़े बड़े खरबूजों जैसे चूचियाँ उछल कर मेरे सामने लहराने लगी।

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