मैंने भी एक बार फिर से निशा की चूत को अपने गर्म गर्म वीर्य से भर दिया और एक दूसरे को बाहों में लिए लेटे रहे। तभी घड़ी पर नजर गई तो पाँच बजने में दस मिनट बाकी थे। मैंने निशा को उठाया और तैयार होने के लिए कहा।
निशा बाथरूम में जाकर फ्रेश होकर आई और फिर मेरे सामने ही खड़ी होकर तैयार होने लगी। मैंने भी अपने कपड़े पहन लिए थे।
साढ़ पाँच बजे हम दोनों तैयार होकर निकले।
जब हम पैलेस पर पहुँचे तो विदाई का कार्यक्रम चल रहा था। हम दोनों ने भी गाड़ी डोली की गाड़ी के पीछे पीछे लगा दी और बारात के साथ साथ घर पहुँच गए। अर्पिता को छोड़ कर किसी को भी शक नहीं हुआ था।
अगले दिन दिनभर सोने के बाद रात को मैं वापिस दिल्ली के लिए तैयार हो गया तो निशा भी मेरे साथ ही तैयार हो गई। रोहित से विदा लेकर मैं बस स्टैंड पर जाने के लिए निकला तो रोहित अपनी गाड़ी में मुझे और निशा को छोड़ने हमारे साथ आया। बस स्टैंड पर छोड़ कर रोहित वापिस चला गया।
मैंने निशा से पूछा- क्या प्रोग्राम है?
तो वो बोली- बस पकड़ कर चलना है और क्या?
पर मेरे होंठों की मुस्कान देख कर वो मेरा इरादा समझ गई। फिर हम दोनों बस स्टैंड के पास के ही एक होटल में चले गए और रात को दो बजे तक दो बार चुदाई का आनन्द लिया और फिर अढ़ाई बजे रात को हम दिल्ली की बस में सवार हो गए।
उसके बाद निशा मुझे दिल्ली में बहुत बार मिली और हम दोनों ने चुदाई का भरपूर आनन्द लिया।
पर..
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